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अमर कवि रहीम की दास्तान सुनेगा लखनऊ, 27 जनवरी को SNA में होगी ख़ानख़ाना की दास्तान

अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना उर्फ़ रहीम के दोहे सैकड़ों सालों से भारत के अवाम में रचे बसे हैं। इन्ही रहीम की जिंदगी और शाइरी पर आधारित दास्तान संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) में आगामी 27 जनवरी को सुनाई जाएगी। ‘दास्तान ख़ानख़ाना’ की शीर्षक वाली इस दास्तान का ये लखनऊ में सबसे पहला शो होगा। शहर के जाने-पहचाने दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी एवं दिल्ली के अंकित चड्ढा मिलकर पेश करेंगे।

priyankajoshi
Published on: 19 Jan 2018 11:40 AM IST
अमर कवि रहीम की दास्तान सुनेगा लखनऊ, 27 जनवरी को SNA में होगी ख़ानख़ाना की दास्तान
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लखनऊ: अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना उर्फ़ रहीम के दोहे सैकड़ों सालों से भारत के अवाम में रचे बसे हैं। इन्ही रहीम की जिंदगी और शाइरी पर आधारित दास्तान संगीत नाटक अकादमी (SNA) में आगामी 27 जनवरी को सुनाई जाएगी।

‘दास्तान ख़ानख़ाना’ की शीर्षक वाली इस दास्तान का ये लखनऊ में सबसे पहला शो होगा। शहर के जाने-पहचाने दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी एवं दिल्ली के अंकित चड्ढा मिलकर पेश करेंगे।

दो साल की रिसर्च के बाद लिखी गई दास्तान

दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी बताते हैं कि इस दास्तान को लिखने में दो साल से ज़्यादा का समय लगा। इतना वक़्त लगने का कारण इसके लिए किया गया गहन शोध है। यही इसकी सबसे खास बात है। मैंने और अंकित ने मिलकर रहीम पर केन्द्रित उर्दू-हिन्दी-अंग्रेज़ी की बीस से अधिक प्रामाणिक नई पुरानी किताबों का अध्ययन किया। रहीम काव्य के विशेषज्ञों से बात की और लोक में रचे-बसे रहीम के क़िस्सों को भी घूम घूम कर इकट्ठा किया। सामग्री जुटाने के बाद इससे काम की चीज़ें निकाल कर ये दास्तान बुनी गई।

रहीम पर पहली दास्तान, लखनऊ में पहला शो

हिमांशु के मुताबिक, ये पहली बार है जब रहीम की ज़िंदगी और शाइरी को दास्तानगोई के जरिए लोगों के सामने पेश किया जाएगा। इसके साथ ही लखनऊ का शो इस दास्तान का सबसे पहला यानी प्रीमियर शो होगा। तकरीबन एक घंटे की ये दास्तान कबीर फेस्टिवल के अन्तर्गत आयोजित की जा रही है। पास के जरिए एंट्री मिलेगी, जो कि ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा या इसके लिए सोशल मीडिया पर कबीर फेस्टिवल से सम्पर्क भी कर सकते है।

पता चलेंगे रहीम के अनजाने पहलू

हिमांशु के मुताबिक इस दास्तान के ज़रिए लोगों को रहीम की ज़िंदगी के कई ऐसे पहलुओं की जानकारी मिलेगी जो अब तक आम नहीं हैं। दास्तान रहीम की ज़िंदगी के हैरतअंगेज़ विरोधाभासों और विडंबनाओं को तो बताती ही है। साथ ही उनके व्यक्तित्व और उनके काव्य की गहराई में भी उतरती है। इसके साथ ही दास्तान रहीम के दौर, जो कि तुलसीदास और अकबर का भी दौर है, की सामाजिक राजनैतिक स्थिति पर भी प्रकाश डालती है। दास्तान बच्चों, नौजवानों और बुज़ुर्गों सभी के सुनने लायक है और सभी को इसमें अपने काम की बहुत सी चीज़ें मिलेंगी। सभी ने कभी न कभी कोर्स की किताब में रहीम के दोहे और जीवनी पढ़ी है, दास्तान के ज़रिए इसी को एक बिल्कुल अलग एवं दिलचस्प अंदाज़ में रीविजन करने का मौका मिलेगा।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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