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सरकारी स्कूलों का हाल : 138 साल पुराने संस्कृत विद्यालय में छात्र न शिक्षक
तेज प्रताप सिंह
गोंडा। सरकारी स्कूलों का हाल कैसा है यह तो सभी जानते हैं। इनमें भी संस्कृत विद्यालयों की हालत बद से बदतर बनी हुई है। जिले में एक स्कूल ऐसा भी है जहां शिक्षक तो हैं लेकिन कोई छात्र पढऩे नहीं आता। जिले में मान्यता प्राप्त सैकड़ों संस्कृत विद्यालयों के अध्यापकों को वेतन के नाम पर मोटी रकम मिलती है लेकिन अधिकांश तो ढूंढे नहीं मिलेंगे। ऐसा ही एक स्कूल है जिला मुख्यालय पर 138 वर्ष पुराना संस्कृत उच्चतर माध्यमिक।
महाराजा दिग्विजय सिंह ने 1879 में की थी स्थापना
इतिहास को खंगालें तो पता चलता है कि राम जानकी संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रानी बाजार की स्थापना बलरामपुर रियासत के महाराजा दिग्विजय सिंह द्वारा 1879 में की गई थी। स्कूल के भवन पर भी यही लिखा हुआ है। तब राजा द्वारा नियुक्त शिक्षक पूरे मनोयोग से बच्चों को पढ़ाते थे। स्कूल का पूरा खर्च भी बलरामपुर रियासत उठाती थी। लेकिन देश आजाद होने के बाद इसे सरकार ने अंगीकृत कर लिया और तब से यहां की व्यवस्था सरकारी शिक्षा विभाग के जिम्मे हो गई।
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दुर्दशा का शिकार है स्कूल
राम जानकी धर्मशाला में स्थित इस विद्यालय के कमरों में कुर्सियां-मेजें बिखरी पड़ी नजर आती हैं। सभी कमरों में ताले टूटे हुए हैं। स्कूल एक जर्जर भवन में है जिसमें आधा दर्जन कमरे हैं जो बच्चों के इंतजार में खाली पड़े रहते हैं। विद्यालय को इण्टर तक मान्यता प्राप्त है। धर्मशाला में बैठे कुछ लोगों ने बताया कि यहां अध्यापक दो हैं, लेकिन छात्र न होने से वे भी अक्सर नदारद ही रहते हैं। कभी-कभी आकर आकर कागजी कोरम पूरा कर जाते हैं। स्कूल में बच्चे हैं नहीं सो यहां सन्नाटा पसरा रहता है। जबकि धर्मशाला परिसर में हरदम चहल-पहल रहती है। धर्मशाला के कर्मचारियों के अनुसार शिक्षक दिन भर बिना काम के बैठे रहते हैं और वापस घर चले जाते हैं।
बीते दिनों जिला विद्यालय निरीक्षक राम खेलावन वर्मा ने यहां का निरीक्षण किया तो विद्यालय में बच्चे और एक भी अध्यापक न देख दंग रह गये। बिना अवकाश के विद्यालय बंद होने से उन्हें यहां छात्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं हो सकी। इस पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने तत्काल प्रभाव से अध्यापकों का वेतन रोकने का आदेश दिया और विद्यालय में नियमित कक्षाएं चलाने का निर्देश दिया। ऐसा न करने पर मान्यता निरस्त करने की चेतावनी भी दी है।