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Sant Kabir Nagar: इक्के की टाप आज भी यहां, हनीफ की रोजी रोटी का यही सहारा

Sant Kabir Nagar: बखीरा गांव के रहने वाले हनीफ पुरानी परंपरा को आज भी बरकरार रखे हुए हैं। तांगा चलाकर आज भी वह अपने परिवार की रोजी रोटी चला रहे हैं।

Amit Pandey
Published on: 29 Aug 2022 11:29 AM GMT
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तांगा चलाता हुआ हनीफ। 

Sant Kabir Nagar Video: वैसे तो आपने फिल्म शोले में बसन्ती और अमिताभ बच्चन की फिल्म मर्द में अमिताभ बच्चन को तांगा दौड़ आते हुए देखा होगा, लेकिन संत कबीर नगर जिले के बखीरा गांव के रहने वाले हनीफ पुरानी परंपरा को आज भी बरकरार रखे हुए हैं। तांगा चलाकर आज भी वह अपने परिवार की 2 जून की रोटी चला रहे हैं। हर गली चौराहे में पहले घोड़े के टाप ही सुनाई देते थे। तांगे की सवारी ऊंचे परिवार के लोग अपनी शान मानते थे, पहले इक्का तांगा की सवारी राजशाही सवारी मानी जाती थी।आधुनिकता की मार से अब इक्का-तांगा भी अछूता नहीं रहा, कभी शानो शौकत की सवारी कहे जाने वाले इक्का व तांगा आज भी युवा पीढ़ी ने आउट डेटेड कर दिया है। सचमुच, लगता है इक्का-तांगा शब्द अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाएंगे।

बखीरा में आज भी तांगे की लोग करते हैं सवारी

आपको बताते चलें कि संतकबीरनगर जिले के मेहदावल तहसील क्षेत्र बखीरा मे आज भी तांगे की सवारी लोग करते नजर आ रहे हैं। तांगा चालक हनीफ ने बताया कि आधुनिकता और महंगाई ने तांगा चालकों के सामने समस्या उत्पन्न कर दी है। घोड़ा गाड़ी में बैठने वाले सवारी के न मिलने से जहां तांगा चालक परेशान है। वहीं घोड़ों के लिए दो समय का चारा जुटाना भी इनके लिए समस्या बना हुआ है। हालात यह है कि तांगा चालक और घोड़े दोनों ही दाने-दाने को मोहताज हैं।

आधुनिकता के दौर में तांगों का अभाव: हनीफ

मीडिया से मोहम्मद हनीफ तांगा चालक ने अपने दर्द बयां करते हुए कहा कि साहब जब संसाधनों की कमी थी, उस समय लोग तांगें की सवारी को ही उत्तम मानते हुए सड़कों के किनारे खड़े होकर इक्के-तांगों का इंतजार किया करते थे. जैसे-जैसे समय का पहिया घूमा, लोग आधुनिक संसाधनों की ओर बढ़ने लगे। आधुनिकता के दौर के साथ तांगा चालकों के इक्के-तांगों पर चढ़ने का शौक रखने वालों का अभाव हो गया।

Deepak Kumar

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