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Sant Kabir News: प्रसव पीड़िता का जटिल ऑपरेशन कर चिकित्सकों ने रचा इतिहास
Sant Kabir News: डॉक्टरों के अनुसार प्रसव पीड़िताओं को 9 माह के अंदर काफी परेशानियों से गुजरना पड़ता है उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जिसमें सांस की नली के शुरुआत में या गले के आसपास सूजन आ जाती है जो सामान्य सर्जरी में परेशानी पैदा करती है।
Sant Kabir Nagar News: जिले के जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टरों का यह चमत्कार उन लोगों के मुंह पर किसी जोरदार तमाचे से कम नहीं है जो हमेशा सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं। एक प्रसव मरीज के जटिल ऑपरेशन को नई तकनीक की मदद से आसान बनाकर डॉक्टरों ने सर्जरी के क्षेत्र में जो नया कीर्तिमान स्थापित किया है वह अपने आप में एक मिसाल है। पूरा मामला उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले का है, जहां जिला अस्पताल में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि सिंह और एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार त्रिपाठी ने एक ऐसी प्रसव मरीज का सफल ऑपरेशन किया जिसका ऑपरेशन लगभग असंभव था या यूं कहिए कि ऐसे मरीजों के ऑपरेशन की सुविधा पूरे पूर्वांचल में उपलब्ध नहीं थी। ऐसे प्रसव मरीजों को लखनऊ या दिल्ली जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था। लेकिन यहां तैनात इन दो डॉक्टरों ने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर संत कबीर नगर जिले के संयुक्त अस्पताल का पूरे पूर्वांचल में मान बढ़ाया है।
आपको बता दें कि प्रसव पीड़िताओं का ऑपरेशन आमतौर पर सामान्य सर्जरी के जरिए किया जाता है जिसमें प्रसव पीड़िताओं की रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है लेकिन जिन प्रसव पीड़िताओं का कभी पीठ का ऑपरेशन हुआ हो या रीढ़ की हड्डी में प्लेट लगी हो या कभी ट्यूमर की बीमारी हुई हो ऐसी प्रसव पीड़िताओं का स्पाइनल एनेस्थीसिया के जरिए ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है। ऐसी ही एक प्रसव पीड़िता जिसकी स्थिति उपरोक्त कारणों में से एक थी उसका नस में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देकर एंडोट्रैकियल ट्यूब के जरिए ऑपरेशन किया गया। जिला अस्पताल में पहली बार लेरिंजोस्कोपी विधि से किया गया यह ऑपरेशन काफी सफल रहा है जिसमें जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
डॉक्टरों के अनुसार प्रसव पीड़िताओं को 9 माह के अंदर काफी परेशानियों से गुजरना पड़ता है उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। जिसमें सांस की नली के शुरुआत में या गले के आसपास सूजन आ जाती है जो सामान्य सर्जरी में परेशानी पैदा करती है। ऐसी स्थिति में नई तकनीक एंडोट्रैकियल ट्यूब सबसे महत्वपूर्ण कदम है जिसे लेरिंजोस्कोपी करके किया जाता है। जिसमें प्रसव के दौरान डॉक्टर अपने एंड्राइड मोबाइल पर ऑपरेशन के दौरान होने वाली सारी गतिविधियों को देख सकता है और स्थिति को नियंत्रित कर सकता है। एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष त्रिपाठी ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए क्या कहा और जिला अस्पताल में पहली बार हुए इस सफल ऑपरेशन के बारे में सीएमएस डॉक्टर भवनाथ पांडे ने क्या कहा? आइए देखते हैं और सुनते हैं दोनों का यह वीडियो बयान।