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संवासिनी लड़कियां बनेंगी हुनरमंद, ‘हुनर बनारस’ वेबसाइट पर मिलेगी पहचान

Admin
Published on: 4 April 2016 7:57 AM GMT
संवासिनी लड़कियां बनेंगी हुनरमंद, ‘हुनर बनारस’ वेबसाइट पर मिलेगी पहचान
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वाराणसी: गलतियां कोई करता नहीं है, अक्‍सर हो जाती हैं। किससे नहीं होती हैं गलतियां? लेकिन कभी-कभी उस गल्‍ती की सजा कैद झेल कर काटनी होती है। एक भूल के कारण अपनों से दूर रहने वाली संवासिनी लड़कियों को हमेशा समाज की दोहरी मानसिकता का दंश झेलना पड़ता है। सालों साल बाद जब संवासिनी गृह में रहने के बाद ये लड़कियां जब बाहर आती हैं, तो सामाजिक स्तर पर कहीं न कहीं इन लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है।

ये लड़कियां जब बाहर आती हैं, तो इनके पास न कोई काम होता है और ना ही कोई हुनर। ये किसी दूसरे पर आश्रित रहकर जीवन जीने को मजबूर होती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, संवासिनी लड़कियों के जीवन स्तर में सुधार लाने, उन्हें स्वावलंबी बनाने तथा उनके हुनर को बढ़ावा देने के लिए संचार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास शुरू हो गया है। अब ये लड़कियां किसी सहारे के अभाव में नहीं रहेंगी।

लॉन्च होगी 'हुनर बनारस' वेबसाइट

जैतपुरा संवासिनी गृह में रहने वाली लड़कियों के लिए ‘‘दक्षता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम’’ चलाया जा रहा है। जिसके अंर्तगत संवासिनियों को निःशुल्क कम्प्यूटर/डिजाइनिंग एवं हैंडीक्राफ्ट प्रशिक्षण के साथ-साथ उनके हुनर को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि वो अपने आप को स्वावलंबी बना सकें। साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट संस्था ने संवासिनियों को आत्मनिर्भर बनाने का जिम्मा उठाया है। साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के निदेशक अजय सिंह ने बताया कि संवासिनी लड़कियों को पहचान देने और उन्हें स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत लड़कियों को न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जाएगा, बल्कि उन्हें मार्केटिंग करना भी सिखाया जाएगा। संवासिनी गृह में सप्‍ताह में चार दिन लड़कियों को बेसिक कंप्यूटर/डिजाइनिंग की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही नए फैशन ट्रेंड के लिए फैशन डिजाइनिंग के बारे में भी बताया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद लड़कियों द्वारा बनाये गए उत्पादों की मार्केटिंग प्रदर्शनी के माध्यम से होगी। इसके अलावा जल्द ही संस्था ऑनलाइन मार्केटिंग भी करेगी, जिसके लिए 'हुनर बनारस' वेबसाइट जल्द ही लॉन्च होने वाली है।

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प्रशिक्षण देती शिक्षिकाएं प्रशिक्षण देती शिक्षिकाएं

मिल गया जीवन जीने का सहारा

संवासिनी गृह में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर लड़कियों में भी खासा उत्साह है। हर कोई कुछ सीख कर नया करने का प्रयास कर रहा है। कंप्यूटर डिजाइनिंग और स्वावलम्बी बनने की चाह ने इन बेसहारा लड़कियों को जीवन जीने का एक सहारा दिया है। सीख रही लड़कियों का मानना है कि अगर ये कंप्यूटर और हैंडीक्राफ्ट डिजाइनिंग सीख लेंगी, तो बाहर जाने के बाद इन्हें किसी पर आश्रित होने की ज़रूरत नहीं होगी। ये अपने आप जीवन यापन कर लेंगी। बाहर निकलने के बाद इनके हुनर से ही इनकी पहचान होगी।

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Untitled-1zsc काम करते हुए संवासिनियां

तय करेंगी समाज में अपनी दिशा

लड़कियों को कम्प्यूटर डिजाइनिंग सिखाने वाली टीचर ने बताया कि इन लड़कियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। लड़कियों में कंप्यूटर की जानकारी को लेकर जो उत्साह है, उससे ऐसा लगता है कि लड़कियां एक महीने में निपुण हो जाएंगी और समाज में अपनी दिशा खुद तय करेंगी।

लड़कियों के बनाए उत्‍पादों को बेचा जाएगा ऑनलाइन

संवासिनी गृह में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात रंजन ने बताया कि यह कार्यक्रम लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत खास है। प्रशिक्षण के बाद लड़कियों द्वारा बनाये गए उत्पादों की बिक्री संस्था ऑनलाइन करने वाली है। जिसका लिंक लड़कियों के आधार कार्ड से जोड़ा जायेगा और बिक्री का पैसा लड़कियों के खातों में सीधा आएगा।

मिलेगी पुनर्वास में मदद

कौशल विकास योजना के अंतर्गत समाज से उपेक्षित इन लड़कियों को आधुनिकता के साथ इनके कौशल को निखारना निश्चित ही इनके पुनर्वास में काफी सहायक होगा, जिससे इन लड़कियों का जब भी पुनर्वास होगा, ये खुद अपने इस हुनर के जरिये स्वावलम्बी बन कर अपनी दिशा तय करेंगी।

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