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एक संन्यासी की अनोखी पहल, विश्व शांति के लिए जलती आग के बीच तपस्या

हापुड में एक संन्यासी ने विश्व शांति और धर्म-जाति के नाम पर उपजती घृणा के विरोध में तपस्या शुरू की है। संन्यासी ने घर-परिवार छोड़ दिया है और अन्न त्याग कर एक खुले मैदान में तप शुरू किया है। संन्यासी ने तपती धूप में अपने चारों ओर आग जलाकर 41 दिनों की साधना का प्रण किया है।

zafar
Published on: 20 April 2017 11:33 AM GMT
एक संन्यासी की अनोखी पहल, विश्व शांति के लिए जलती आग के बीच तपस्या
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एक संन्यासी की अनोखी पहल, शांति के लिए जलती आग के बीच तपस्या

हापुड़: यूं तो दुनिया भर में शांति के लिए जलसे होते हैं, रैलियां निकाली जाती हैं और यात्राओं के जरिये अमन का संदेश दिया जाता है। लेकिन इसके लिए तपते सूरज के नीचे और जलती आग के बीच बैठ कर तपस्या शायद आपने न सुनी हो। हापुड़ में एक संन्यासी ने विश्व भर में शांति की स्थापना और जातिवाद-संप्रदायवाद के विरोध ऐसी ही तपस्या शुरू की है।

तपन में तपस्या

विश्व में बढ़ती अशांति जातिवाद-नस्लवाद और धार्मिक नफरत मिटाने के लिए संगठनों की पहल पर या व्यक्तिगत रूप से संदेश दिया जाना कोई नई बात नहीं है।

लेकिन हापुड में एक संन्यासी ने विश्व शांति की स्थापना और धर्म-जाति के नाम पर उपजती घृणा के विरोध में तपस्या शुरू की है।

संन्यासी ने घर-परिवार छोड़ दिया है और अन्न त्याग कर एक खुले मैदान में तप शुरू किया है।

संन्यासी ने तपती धूप में अपने चारों ओर आग जलाकर 41 दिनों की साधना का प्रण किया है।

शांति का संदेश

हापुड़ में सिम्भावली क्षेत्र के गांव ढहाना देवली निवासी 32 वर्षीय सुनील ने देश में जातिवाद और घृणा के विरोध में तप का फैसला किया।

वह पिछले एक सप्ताह से अन्न त्याग कर और आग के बीच बैठ कर तपस्या में लीन हैं।

कम आयु में ही जातीय नफरत के विरुद्ध घर छोड़ कर संन्यास लेने वाले सुनील लोगों को घृणा से दूर रहने के उपदेश देने लगे थे।

जातीय नफरत के खिलाफ किसी अभियान का यह कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन सामाजिक एकता और शांति के लिए ऐसी अनोखी तपस्या का शायद यह पहला मामला है।

आगे स्लाइड्स में देखिये कुछ और फोटोज...

एक संन्यासी की अनोखी पहल, शांति के लिए जलती आग के बीच तपस्या

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