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गोरखपुर की सारिया बनी लेफ्टिनेंट, इंजीनियर की नौकरी छोड़ सेना को बनाया करियर
शहर के रामजानकी नगर मोहल्ला निवासी सारिया अब्बासी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। हाल ही में वह चेन्नई स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग पूरा कर लेफ्टिनेंट बनी हैं। चेन्नई की अकैडमी की पासिंग आउट परेड में पिता डॉ. तहसीन अब्बासी और मां रेहाना शमीम ने 9 सितंबर को जब उनके कंधों पर स्टार लगाया तो दोनों गर्व से फूले नहीं समा रहे थे।
गोरखपुर : शहर के रामजानकी नगर मोहल्ला निवासी सारिया अब्बासी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। हाल ही में वह चेन्नई स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग पूरा कर लेफ्टिनेंट बनी हैं।
चेन्नई की अकैडमी की पासिंग आउट परेड में पिता डॉ. तहसीन अब्बासी और मां रेहाना शमीम ने 9 सितंबर को जब उनके कंधों पर स्टार लगाया तो दोनों गर्व से फूले नहीं समा रहे थे।
क्या बताया पिता ने?
डॉक्टर तहसीन ने बताया कि उनकी बेटी भारत की तीसरी और पूर्वी उत्तर प्रदेश की पहली मुस्लिम महिला है। उसने 2015 में आईएमएस गाजियाबाद से बीटेक करने के दिल्ली की किसी कंपनी में जॉब मिली, लेकिन उसका मन नहीं लगा। वह डिफेंस सेक्टर में जाना चाहती थी। उसी साल उसने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसी) की ओर से आयोजित सीडीएस की परीक्षा दी और इसमें उसे गर्ल्स की आल इंडिया रैंकिंग में 20वीं रैंक मिली। फिर भी उसका चयन नहीं हो सका। लेकिन सारिया ने हिम्मत नहीं हारी और पूरे मन से परीक्षा की तैयारी की। फिर अगले साल 2016 में उसका सेलेक्शन हो गया।
इंजीनियर की छोड़ी नौकरी
-सारिया के पिता डॉ. तहसीन आकाशवाणी गोरखपुर के कार्यक्रम प्रमुख हैं।
-परिवार में पिता के अलावा मां शिक्षिका रेहाना अब्बासी और छोटा भाई तमसील अब्बासी हैं।
-मां रेहाना भटहट क्षेत्र के अतरौलिया स्थित जूनियर हाई स्कूल में शिक्षिका हैं।
-घर आई सारिया को पिता के सहकर्मियों ने बुधवार को बधाई और शुभकामना देने के लिए आकाशवाणी केंद्र बुलाया था।
-सारिया ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई जीएन पब्लिक स्कूल से की है।
-जेनेटिक इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद इंजीनियर की नौकरी में मन नहीं लगा, तो सेना को अपना करियर बनाया।