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Sawan 2022: कुशीनगर के कुबेरस्थान मंदिर में सावन महीने में एक माह तक चलता है भव्य मेला, धन-धान्य से भर देते हैं कुबेर

Sawan 2022: शिव भक्त यहां भगवान शिव के साथ-साथ कुबेर की भी पूजा करते हैं। मान्यता है कि जो सच्चे मन से यहां भगवान शिव की पूजा करता है उसे धन-धान्य से कुबेर भर देते हैं ।

Mohan Suryavanshi
Published on: 27 July 2022 3:22 PM IST (Updated on: 27 July 2022 5:52 PM IST)
Sawan 2022: कुशीनगर के कुबेरस्थान मंदिर में सावन महीने में एक माह तक चलता है भव्य मेला, धन-धान्य से भर देते हैं कुबेर
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Sawan in Kushinagar: कुशीनगर जनपद का प्रसिद्ध कुबेरस्थान (kubersthan) का शिव मंदिर (Shiva Temple) भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। वैसे तो यहां वर्ष भर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं लेकिन सावन माह में विशेष महत्व है। पूरे माह यहां मेला लगा रहता है सावन माह में प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक कराने आते हैं। भक्त भक्त बिहार, नेपाल, दूर दराज से भगवान शिव (Lord Shiva) का दर्शन करने आते हैं।

पडरौना के राजा भूप नारायण राय ने कराया था मंदिर का निर्माण

मान्यता के अनुसार सैकड़ो वर्ष पूर्व यहां घनघोर जंगल हुआ करता था। आसपास के लोग पशुओं को चराने के लिए यहां जुटते थे। एक दिन कुछ चरवाहों ने एक बरगद के सूखे पेड़ में आग लगा दिया। लकड़ी जलने लगी, उसी समय तेज आवाज हुई। जब चरवाहों ने देखा तो वह शिव लिंग था। चरवाहों द्वारा जानकारी मिलने पर वहां ग्रामीणों की भीड़ लग गई।


इसकी जानकारी जब पडरौना स्टेट राजा भूपनारायण सिंह (Raja Bhupnarayan Singh) को हुई तो वे शिव लिंग को वहां से खुदाई कराकर दूसरे स्थान भूपसागर पोखरे के पास स्थापित कराने के लिए खुदाई कराने लगे। दिन भर खुदाई होती थी और दूसरे दिन मिट्टी बराबर हो जाती थी। राजा हठ करके बार-बार खुदाई कराते थे। तब भगवान शिव ने राजा को स्वप्न दिखाया कि तुम मुझे वहीं छोड़ दो अन्यथा तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। राजा हठ छोड़ कर पहले वाले स्थान पर ही भव्य मंदिर बनवा दिए। पूजन-अर्चन करने के लिए एक पुजारी की नियुक्ति की गई। तभी से कुबेरस्थान शिव मंदिर (Kuberasthan Shiva Temple) आस्था का केंद्र बना हुआ है।


कुबेरस्थान की पौराणिक महत्व त्रेता युग से है जुड़ी कुबेरस्थान

कुबेर स्थान मंदिर की महत्ता त्रेता युग से मानी जाती है। जनश्रुतियों के अनुसार जब रावण ने कुबेर को लंका से निष्कासित कर दिया तो भगवान महादेव की शरण में हिमालय की ओर जा रहे थे। रास्ते में कुबेर ने जंगल के बीच एक रमणीक स्थान दिखा जहां पर उन्होने भगवान शिव की आराधना किया। तभी से यह स्थान कुबेरस्थान के नाम से प्रसिद्ध हो गया। शिव भक्त यहां भगवान शिव के साथ-साथ कुबेर की भी पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो सच्चे मन से यहां भगवान शिव की पूजा करता है उसे धन-धान्य से कुबेर भर देते हैं ।

कहाँ है कुबेरस्थान का मंदिर

कुशीनगर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर पूरब दिशा में पडरौना तुर्कपट्टी मार्ग पर कुबेरस्थान में भगवान शिव का मंदिर है। पडरौना तथा तुर्कपट्टी दोनों जगहों से कुबेरस्थान आया जा सकता है।



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Shashi kant gautam

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