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CAA पर योगी सरकार की बढ़ी मुश्किलें, हिंसा पर SC ने भेजा नोटिस
CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है, तो वहीं लखनऊ के घंटाघर पर धरने पर बैठी महिलाओं को भी पुलिस ने नोटिस भेजी है।
लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस भेज जवाब तलब किया है, तो वहीं इन दिनों लखनऊ के घंटाघर पर धरने पर बैठी महिलाओं को भी पुलिस ने नोटिस भेजी है। दरअसल, दोनों ही मामले सीएए के विरोध से जुड़े हुए हैं जिसका असर यूपी में सबसे ज्यादा दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को किया तलब:
उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद योगी सरकार ने प्रदर्शनकारियों की संपत्ति जब्त करने का ऐलान किया था, जिसके खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
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इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार लोगों की संपत्ति को जब्त कर रही है। कहा गया कि सरकार इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को फॉलो नहीं कर रही।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन:
गाइडलाइंस के अनुसार, इस तरह के मामले में सेवानिवृत (रिटायर्ड) हाईकोर्ट जज को सक्षम पदाधिकारी बनाकर इससे संबंधित प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है। इस तरह के मामले में संबंधित अधिकारी सार्वजनिक और व्यक्तिगत संपत्ति को कितना नुकसान पहुंचा है उसका मूल्यांकन करेगा। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई हो सकती है। आरोप है कि सरकार ने कार्रवाई करने का अतिरिक्त जिला पदाधिकारी के रैंक वाले अधिकारी को दिया है।
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यूपी सरकार ने घंटाघर में बैठी प्रदर्शनकारी महिलाओं को भेजा नोटिस:
दूसरी तरह योगी सरकार सीएए के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर सख्त है। लखनऊ के घंटाघर में प्रदर्शन कर रही महिलाओं को हटाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने नोटिस जारी किया है। प्रदर्शनकारी महिलाओं के खिलाफ धारा-144 का उल्लंघन, यातायात बाधित और शांति व्यवस्था में खलल डालने का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 50 से 100 महिलाओं को भेजा गया है। उनसे जल्द से जल्द घंटाघर का परिसर खाली करने को कहा गया है। अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।