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TV TODAY फर्जी स्टिंग केस: SC ने लगाई विधानसभा की कार्यवाही पर रोक
लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी सरकार को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने फर्जी स्टिंग ऑपरेशन मामले में टीवी टुडे के पत्रकारों को विधानसभा में पेश होने के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
टीवी टुडे नेटवर्क (टीवीटीएन) के पत्रकारों को शुक्रवार को 12 बजकर 30 मिनट पर विधानसभा में पेश होना था। इससे पहले उन्हें 26 फरवरी को सदन में पेश होने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इन लोगों की तरफ से सदन में पेश होने के लिए कम समय दिए जाने का हवाला दिया गया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे ने आरोपियों को चार मार्च को सदन में पेश होने का आदेश दिया था।
प्रश्नकाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे ने सदन को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी विधानसभा की इस कार्यवाही पर चैनल के आरोपी पदाधिकारियों को स्टे दे दिया है और इस पर चल रही सदन की कार्यवाही पर चार माह तक के लिए रोक लगा दी है।
-सुप्रीम कोर्ट से इस आशय का पत्राचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को अपनी गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखने के साथ इस सदन की मर्यादा का भी ख्याल रखना चाहिए।
-टीआरपी, कारोबार और धंधे के लिए इस हद तक चले जाना कहां तक उचित है। सुप्रीम कोर्ट का स्वायत्ता में दखल देना बड़ी बात है।
-इस बीच उन्होंने यह जुमला भी उछाला कि बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी।
इन्हें पेश होना था सदन में
4 मार्च को सदन में चैनल के मैनेजिंग एडिटर सुप्रिया प्रसाद, आउअपुट हेड मनीष कुमार,एसआईटी हेड दीपक शर्मा, हेडलाइंस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवर, एडिटर और एंकर पुण्य प्रसून बाजपेई, रिपोर्टर हरीश शर्मा, एंकर गौरव सावंत और पदम्बा जोशी पेश होंगे।
रिपोर्ट में ये लगी हैं धाराएं, इनका है ये मतलब
IPC 295ए- ऐसे काम जिससे किसी वर्ग या धर्म का अपमान हुआ हो या उनकी भावनाएं आहत हुई हों।
IPC 463- फर्ज़ी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्र्स का इस्तेमाल
IPC 464- फर्जी दस्तावेज तैयार करना
IPC 465- फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले को 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों
IPC 469- किसी की छवि को क्षति पहुंचाने की दुर्भावना से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार कर उसका इस्तेमाल करना। इसमें दोषी होने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।
IPC 471- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक फुटेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना।
CrPc 200, CrPc 202- अभियोजन के लिए परिवादी की उपस्थिति आवश्यक है।