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Weapons in UP:: यूपी में गैर लाइसेंसी हथियारों के इस्तेमाल पर SC ने लिया स्वतः संज्ञान, कही ये बात
Unlicensed Weapons in UP: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गैर लाइसेंसी हथियारों के इस्तेमाल को लेकर स्वतः संज्ञान लिया है।
Unlicensed Weapons in UP: उत्तर प्रदेश में गैर लाइसेंसी हथियारों (Unlicensed Weapons) के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने स्वतः संज्ञान लिया है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को 4 हफ्ते में हलफनामे के जरिए ये बताने के लिए कहा कि गैर लाइसेंसी हथियारों की जब्ती के सिलसिले में आर्म्स एक्ट (Arms Act) या अन्य समुचित कानून के तहत कब कितने मुकदमे दर्ज किए गए।
संविधान के तहत नहीं है ऐसा कोई अधिकार
पीठ ने कहा कि अमेरिकी संविधान के विपरीत, जहां हथियार रखने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, हमारे संविधान के तहत किसी को भी ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है। इसके पीछे सोच रही होगी कि सभी के जीवन को संरक्षित किया जाए। विशेष रूप से बिना लाइसेंस वाले हथियारों पर रोक इसलिए है। पीठ ने कहा, यदि इस मुद्दे को स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है तो यह कानून के शासन के लिए एक बड़ा झटका होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इंकार
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने बंदूक से गोली मारकर एक पीड़ित की हत्या करने के आरोपी 73 वर्षीय व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बिना लाइसेंस वाले हथियारों की बुराई पर ध्यान दिया। इस मामले में याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया था। उस पर आरोप है कि उसने अन्य सह आरोपियों के साथ मिलाकर शिकायतकर्ता और सात अन्य पर कथित रूप से फायरिंग की थी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच रंजिश के चलते ऐसा किया गया। याचिका में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट यह मानने में विफल रहा कि फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट के अनुसार, जो गोली चलाई गई थी, वह उसके पास से बरामद बंदूक से मेल नहीं खाती थी।
एसएलपी दाखिल कर जमानत पर रिहाई की लगाई थी गुहार
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी बागपत में 2017 में हुई हत्या के मामले के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर जमानत पर रिहाई की गुहार लगाई थी। आरोपी की ओर से दलील दी गई कि पिछले पांच साल से वह जेल में बंद है और ट्रायल धीमी रफ्तार से ही चल रहा है।
गैर लाइसेंसी हथियारों की जब्ती के सिलसिले में कितने मुकदमे दर्ज किए गए?
बेंच ने जमानत पर सुनवाई की, लेकिन उसे वृहत आयाम देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को 4 हफ्ते में हलफनामे के जरिए ये बताने के लिए कहा कि गैर लाइसेंसी हथियारों की जब्ती के सिलसिले में आर्म्स एक्ट या अन्य समुचित कानून के तहत कब कितने मुकदमे दर्ज किए गए? साथ ही गैर लाइसेंसी हथियारों की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने क्या उपाय किए हैं?
बेंच ने टिप्पणी की है कि अमेरिका की तरह भारत में हथियार रखना बुनियादी अधिकार नहीं है। हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई है। जस्टिस जोसफ ने कहा कि में केरल से हूं, लेकिन वहां ये सब अनसुना अनदेखा है। इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ये हिंसक हथियार रखना सामंती सोच का परिचायक है। सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता की याचिका पर यूपी विधान परिषद के सभापति कार्यालय से जवाब मांगा है।