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कृषि विभाग में बड़ा घोटाला, अनुदान की रकम डकार गए विभागीय अधिकारी-कर्मचारी
जौनपुर : प्रदेश की सरकार भ्रष्टाचार रोकने का चाहे जितना भी दावा करे, लेकिन सच यह है कि भ्रष्टाचार एवं लूटपाट का खेल सरकारी विभागों में बदस्तूर जारी है। जहां भी नजर डाली जाए वहां भ्रष्टाचार ही नजर आ जा रहा है। जौनपुर जिले में उपनिदेशक कृषि के कार्यालय में केन्द्र सरकार की जल संचय योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली सिंचाई मशीन स्प्रिंकलर एवं डीजल इंजन के लिए दिए जाने वाले अनुदान में एक करोड़ 10 लाख रूपये का घोटाला किया गया है। अब इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा अभिलेखों में हेराफेरी करने की भी खबर है।
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सर्वे में हुआ खुलासा
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने जल संचय योजना के तहत धरती से जलदोहन को कम करने व फसलों की सिंचाई के लिए इस योजना के तहत स्प्रिंकलर मशीन एवं डीजल इंजन खरीदने पर सब्सिडी देने का निर्णय लिया था। यह योजना जनपद जौनपुर के 14 विकासखंडों बदलापुर, करंजाकला, केराकत, सिरकोनी, बक्शा, महराजगंज, सिकरारा, मुफ्तीगंज, डोभी, मडिय़ाहू, रामनगर, रामपुर, बरसठी, धर्मापुर में संचालित की जा रही थी। इस योजना के तहत कृषि विभाग ने 189 किसानो को स्प्रिंकलर मशीन एवं डीजल इंजन दिए जाने का दावा करते हुए सूची जारी की थी। शासनादेश के अनुसार इस मशीन की पूरी लागत 53 हजार रुपये में 39 हजार रुपये अनुदान देने का प्राविधान किया गया था। अनुदान में दी जाने वाली राशि में कागजी बाजीगरी का खेल करके विभागीय अफसरों व कर्मचारियों ने मिलकर एक करोड़ 10 लाख रुपये का घोटाला कर दिया। इसका खुलासा होने के बाद कृषि विभाग की सूची के अनुसार सिरकोनी विकासखंड के ग्राम आराजी नेवादा में सर्वे कराया गया तो उक्त गांव की लाभार्थी रीता देवी, जय हिन्द पटेल, अर्जुन पटेल, एहसान ने बताया कि उन्हें योजना की कोई जानकारी ही नहीं है। सूची में उनके नाम से स्प्रिंकलर मशीन एवं डीजल इंजन दिया गया है और इनके नाम पर अनुदान भी निकाला जा चुका है। इन सभी ने बताया कि उन्हें कोई धन भी नहीं मिला है।
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अफसर ने नकारी बात
विभागीय सू़त्र ने जानकारी दी है कि इस योजना के तहत लघु सीमांत कृषको के साथ ही सामान्य किसानों को भी योजना का लाभ दिए जाने का प्राविधान है। वर्ष 2018-19 में 350 एवं वर्ष 2019-20 के लक्ष्य में 289 किसानों के नाम पर दी जाने वाली सब्सिडी को विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी मिलकर डकार गए हैं। सूची में दर्ज किसान किसी तरह का अनुदान नहीं पाने का दावा कर रहे है। दूसरी ओर कृषि विभाग के उपनिदेशक जयप्रकाश तिवारी का दावा है कि अनुदान की राशि किसानों के खाते में भेजी जा चुकी है। इसमें किसी प्रकार का कोई घोटाला नहीं किया गया है।
कागजी बाजीगरी का खेल
इसके बाद सूची में शामिल सभी किसानों के विषय में जानकारी की गयी तो पता चला कि विभाग में कागजी बाजीगरी का खेल करते हुए सब्सिडी देने के नाम पर एक करोड़ 10 लाख रुपये का घोटाला कर लिया गया है। खबर वायरल होने के बाद जिला प्रशासन के अधिकारी भी सक्रिय हुए और शासन में लिखापढ़ी की गयी तो शासन ने पूरे मामले की जांच का आदेश जारी किया है। शासन के आदेश पर जिला प्रशासन ने जिले के सभी उप जिलाधिकारियों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही निर्देश भी दिया है कि खंड विकास अधिकारियों के साथ मिलकर प्रकरण की जांच कर आख्या प्रस्तुत करें।