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तीन महीनों के अंदर तीन घोटालों में करोड़ों की लूट

raghvendra
Published on: 31 Aug 2018 8:29 AM GMT
तीन महीनों के अंदर तीन घोटालों में करोड़ों की लूट
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आखिर कब सुधरेगी पंजाब पुलिस

असगर नकवी

सुलतानपुर: जिले में सरकारी धन की खुलकर लूट हो रही है। जिले में पिछले तीन महीनों के अंदर तीन घोटाले आ चुके हैं। पहले श्रमिकों की मौत पर मिलने वाले धन में 14 लाख रुपए हड़प करने, फिर एनएच 56 पर बन रहे फोर लेन में 200 करोड़ का घोटाला और अब केन्द्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में बड़ी धांधली का मामला सामने आया है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में धांधली

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत नगरपालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में शासन की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल(ई पॉस) मशीन लगा दी गई है। यह मशीन कार्डधारकों का सत्यापन करती है। इसके लिए पात्र को अंगूठा लगाना होता है और उसकी पुष्टि आधार कार्ड के लिंक की प्रक्रिया से की जाती है। इसके बाद ही उसे वास्तविक पात्र मानते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ दिया जाता है।

जिले के नगर पालिका क्षेत्र में दुकानदारों ने बोगस राशन कार्डों से राशन निकालने के लिए फर्जी आधार लगाने का हथकंडा अपनाया है। यहां सस्ते गल्ले के तीन दुकानदारों ने 279 कार्डों में यह खेल किया है, यह बात प्रथम जांच में सामने आई है। माना जा रहा है कि नगर पंचायतों में भी यह खेल बड़े पैमाने पर हुआ है जिसकी वजह से कोटेदार मालामाल हुए हैं। अफसरों की भी जेब गर्म हुई है और गरीबी रेखा एवं इससे नीचे के परिवारों का हक बिचौलिए खा गए हैं।

मामला जब जिलाधिकारी विवेक कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने करोड़ों की अनियमितता को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। दरअसल डीएसओ की लॉगिन से फर्जी लिंकेज प्रक्रिया फाइनल होने की वजह से मामला संदिग्ध हो गया।

इस पर डीएसओ की संलिप्तता की भी जांच की जाएगी। साथ ही सभी डाटा एंट्री ऑपरेटरों और डीएसओ को डीएम कार्यालय तलब किया गया है। जिलाधिकारी विवेक ने बताया कि किसी भी दशा में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। कोटेदार और डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। कार्रवाई से आपूर्ति विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है।

मृतक श्रमिकों के 14 लाख डकारे

जून माह में श्रम विभाग में हुए घोटालों की परत खुली थी जहां सात मृतक श्रमिकों के 14 लाख रुपये डकार लिए गए थे। दिलचस्प बात ये कि ये पैसा विभाग के सहायक पटल से लेकर तात्कालिक डीएम संगीता सिंह की साइन से पात्र के बजाय अपात्रों के खातों में भेजा गया था। वर्तमान में आईएएस संगीता सिंह अपर आयुक्त श्रम हैं।

मुआवजा बांटने में 200 करोड़ का घोटाला

अभी ये मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि सुलतानपुर में बन रहे फोरलेन नेशनल हाईवे-56 के मुआवजे में घोटाले का मामला सामने आया था। सुल्तानपुर के जिलाधिकारी की शुरुआती जांच में इस मामले का खुलासा हुआ था जिसमें करीब 200 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की आशंका जताई जा रही है। बताया गया कि सुलतानपुर में एनएच-56 पर बन रहे फोरलेन की लंबाई तकरीबन 65 किलोमीटर है, जिसमें कुल 75 गांव प्रभावित हो रहे हैं। इन प्रभावित गांवों के करीब 10 हजार काश्तकारों को 1233 करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर दिए जाने हैं। अब तक 1137 करोड़ रुपयों का मुआवजा बांटा जा चुका है।

डीएम के मुताबिक जिले में एनएच 56 पर कुल 5 बाईपास बनने थे। 38 गांवों के करीब 6 हजार काश्तकारों को करीब 200 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया जबकि वहां कोई हाइवे नहीं बना। डीएम ने बताया कि इसकी पूरी जिम्मेदारी सक्षम अधिकारी की थी जिन्हें स्थलीय निरीक्षण कर तहसील से गाटा संख्या मिलाकर मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए थी। फिलहाल जिलाधिकारी ने छह हजार काश्तकारों से 200 करोड़ रुपये रिकवरी की बात कही है। साथ ही मामले में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात कही है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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