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2020 के बड़े घोटाले: जीरो टालरेंस नीति, फिर भी हुए यूपी में ये फर्जीवाड़े
पशुपालन विभाग में 292 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने के नाम पर हुए फर्जीवाड़े की जांच अभी चल रही है। मामले की एफआईआर 13 जून 2020 को इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिन्कू ने थाना हजरतंगज में दर्ज कराई थी।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में सरकार के गठन होते ही साफ कह दिया था कि उनकी सरकार जीरो टालरेंस की नीति पर चलेगी। साथ ही यह भी कहा कि भ्रष्ट्राचार के मामले पर किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा बावजूद इसके इस साल भी यूपी में ऐसे कई घोटाले सामने आए। जिसकी जांच का काम चल रहा है।
आईए आपको बताते हैं इस साल के प्रमुख घोटाले
पशुपालन विभाग का टेंडर घोटाला
पशुपालन विभाग में 292 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने के नाम पर हुए फर्जीवाड़े की जांच अभी चल रही है। मामले की एफआईआर 13 जून 2020 को इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिन्कू ने थाना हजरतंगज में दर्ज कराई थी। इस मामले में 10 अभियुक्तों को नामजद किया गया था। अभियुक्तों पर कूटरचित दस्तोवजों व छद्म नाम से गेहूं, आटा, शक्कर व दाल आदि की सप्लाई का ठेका दिलवाने के नाम पर 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए की ठगी करने का आरोप है। टेंडर दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपितों के मददगार 25 हजार के इनामिया आइपीएस अरविंद सेन फरार हैं। आइपीएस ने सीबीसीआइडी एसपी के पद पर तैनाती के दौरान पीड़ित व्यापारियों को धमकाया था।
पीपीई किट घोटला
कोरोना संक्रमण से निबटने के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए खरीदी गई पीपीई किट में हुए घोटाले को लेकर खूब हल्ला मचा। यह मामला आम आदमी पार्टी के सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने उठाया। इसके बाद अन्य राजनीतिक दल भी इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर रहे। यही नही भाजपा विधायक ने आरोप लगाया था कि कोविड किट 2800 के बदले में 9500 रूपये में खरीदे गए।
पीपीई किट में ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर मिलता है। जांच में शिकायत सही पाई गई। सुल्तानपुर और ग़ाज़ीपुर के पंचायत अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। जांच में पायाय गया कि आपदा में 65 जिलों में पीपीई किट घोटाला हुआ है। किटों को कई गुना दामों में बेचा और खरीदा गया। मामले की जांच के लिए एसआईटी का भी गठन किया गया। लेकिन विपक्ष सीबीआई जाचं के लिए अड़ा रहा।
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शिक्षक भर्ती घोटाला
प्रदेश की भाजपा सरकार मे इस साल शिक्षक भर्ती घोटाले की भी गूंज सुनाई पड़ी। एसटीएफ की जांच के दौरान कई ऐसे प्रकरण सामने आ चुके हैं, जिनमें फर्जी शिक्षकों ने अपने गृह जनपद से दूर जिलों में नौकरी हासिल की थी और वे अपनी तैनाती के स्कूल में ज्यादा जाते भी नहीं थे। एसटीएफ के अधिकारियों को संदेह है कि इनमें कई फर्जी शिक्षक शामिल हैं, जो कार्रवाई की भनक लगने पर भाग निकले हैं। यूपी के परिषदीय स्कूलों में 69000 शिक्षकों की भर्ती के नाम पर पैसे ऐंठने वाले गैंग का भी भंडाफोड़ किया गया। इस घोटाले को मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले से तुलना की गयी। इस मामले की जांच के लिए एसटीएफ का भी गठन किया गया और इससे जुडे कई लोगों की गिरफ्तारी अब तक हो चुकी है।
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यूपी के 34 जिलों में राशन घोटाला
फर्जी आधार कार्ड और ई-पॉश मशीन से जुड़े सॉफ्टवेयर में सेंधमारी कर यूपी के 34 जिलों में हुए करोड़ों के राशन घोटाले का मामला भी सामने आया। जिसकी जांच अब आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) कर रही है। इस घोटाले मे कम्प्यूटर ऑपरेटर की मदद से लाभार्थियों के आधार कार्ड नंबरों में संशोधित कर अपने परिचितों के आधार नंबर को फीड कर दिया जाता था। इसके जरिए गरीबों का अनाज निकाल लिया जाता था। अनाज लेने के बाद असली लाभार्थी के आधार नंबर को फिर से फीड कर दिया जाता था।
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