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कोरोना से सहमी व्यवस्था ने ले ली एक वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र मिश्र की जान
अयोध्या कांड के दौरान दैनिक आज में उपेंद्र मिश्र की रिपोर्टिंग की पूरे प्रदेश में चर्चा रही। राष्ट्रीय सहारा की शुरुआत में उसे मात्र एक माह में पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर पहुंचाने का काम भी उन्होंने अपनी संपादन कुशलता से किया था। एक समय वह सहारा इंडिया के चेयरमैन सुव्रत राय सहारा के करीबी लोगों ने गिने जाते थे।
लखनऊः वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र मिश्र को मंगलवार सुबह गोरखपुर में हार्टअटैक पड़ा। घर वाले उन्हें लेकर भागे मेडिकल कालेज समेत किसी अस्पताल ने लगातार बिगड़ रही हालत को नजरअंदाज करते हुए उन्हें भर्ती नहीं किया, निजी अस्पताल ने भी लौटा दिया और लगभग दो घंटे के परिजनों के अथक प्रयास व्यर्थ हुए सुबह सात बजे वरिष्ठ पत्रकार ने दमतोड़ दिया। यह जानकारी उनके पुत्र अभिषेक मिश्र ने न्यूजट्रैक को दी।
संतोषी ग्रुप की कंपनी में पीआर हेड अभिषेक कहते हैं यदि दस मिनट भी पापा को आक्सीजन मिल जाती तो उनकी जान बच जाती। उन्होंने कहा कि कोरोना के भय के चलते बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने मरीज को देखे बगैर भर्ती करने से इंकार कर दिया। एक निजी अस्पताल ने भी भर्ती नहीं किया। दूसरे निजी अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते पापा ने दम तोड़ दिया। सभी की एक ही रट थी कोरोना जांच कराकर आओ।
परिवार चाहता है दोषियों पर कार्रवाई हो
उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि कोई मरीज अगर अचानक हार्टअटैक का शिकार होता है तो वह कोरोना का निगेटिव सर्टिफिकेट एडवांस में कैसे बनवा कर रख सकता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
उपेंद्र मिश्र की बेटी अर्चना मिश्रा आईबीएन 7 में वरिष्ठ पत्रकार है उन्होंने भी मुख्यमंत्री से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
उपेंद्र मिश्र वरिष्ठ पत्रकार थे। वे कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अखबारों में बड़े पदों पर काम कर चुके थे। अयोध्या कांड के दौरान दैनिक आज में उपेंद्र मिश्र की रिपोर्टिंग की पूरे प्रदेश में चर्चा रही। राष्ट्रीय सहारा की शुरुआत में उसे मात्र एक माह में पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर पहुंचाने का काम भी उन्होंने अपनी संपादन कुशलता से किया था। एक समय वह सहारा इंडिया के चेयरमैन सुव्रत राय सहारा के करीबी लोगों ने गिने जाते थे।
इस संबंध में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में नहीं है। कोरोना जांच रिपोर्ट लाने के बाद ही मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। लेकिन ऐसे मामलों में डॉक्टरों को विवेक से काम लेना चाहिए। मैं इस बारे में पता करने के बाद ही कुछ कह सकूंगा।
पूरे प्रदेश का कमोवेश यही हाल है अभी हाल में उन्नाव के मुकेश मिश्र के सांस लेने में परेशानी होने पर राजधानी के सरकारी गैर सरकारी सभी अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिये थे। परिजनों ने किसी तरह कानपुर के एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराया तो जान बची।
कोरोना से होने वाली मौतों की तो लगातार काउंटिंग हो रही है लेकिन इलाज न मिलने पर दम तोड़ने वाले मरीजों की गिनती कब शुरू होगी ये व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।