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अनुसूचित का दर्जा मिलने के पांच दशक बाद भी थारू जनजाति बेहाल

राम केवी
Published on: 15 Nov 2018 1:53 PM GMT
अनुसूचित का दर्जा मिलने के पांच दशक बाद भी थारू जनजाति बेहाल
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लखनऊः थारू जनजाति का जीवन स्तर सुधारने के तमाम दावों के बीच हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि थारू जनजाति की आर्थिक स्थिति बेहद चिंताजनक है। सरकारी सुविधाओं तक उन तक पहुंच नगण्य है।

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राजनीतिक दलों की उन तक कितनी पहुंच है यह इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि 89.60 फीसद थारू न तो किसी संगठन से जुड़े हैं और न ही उनके पास कोई पद है। केवल 10.12 फीसद थारू किसी संगठन या राजनैतिक दल से जुड़े हुए हैं। जबकि 0.28 फीसद थारू एक या अधिक संगठनों में पद लिये हुए हैं।

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अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि 84.83% थारूओं की आय 25 हजार रुपये प्रति वर्ष से कम थी। 12.92 प्रतिशत थारुओं की वार्षिक आय 25000 से 50000.00 रुपये के बीच थी। सिर्फ 1.96 फीसद थारूओं की वार्षिक आय 51000-75000 रुपये के बीच थी और 0.29 प्रतिशत थारूओं की आय 75000 प्रति वर्ष से अधिक थी। 81 प्रतिशत थारू एकल परिवारों में रहते हैं जबकि 19 फीसद संयुक्त परिवारों में।

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356 लोगों पर किये गये अध्ययन में यह भी सामने आया है कि 53.38 फीसद थारू अशिक्षित हैं। 3.38 फीसद केवल पढ़ सकते हैं। 7.87 प्रतिशत लिख और पढ़ सकते हैं। 8.70 प्रतिशत थारू प्राथमिक शिक्षा प्राप्त हैं। 6.74 प्रतिशत जूनियर हाईस्कूल तक शिक्षित हैं। 17.13 प्रतिशत हाईस्कूल तक शिक्षित हैं। जबकि स्नातक या उससे अधिक शिक्षा पाने वाले केवल 2.80 प्रतिशत ही हैं। अध्ययन के अनुसार 34 फीसदी थारू मजदूरी करके गुजारा करते हैं। 1.12 फीसद शिल्पकारी करते हैं। इतने ही व्यापार करते हैं। और इतने ही आकर्षक नौकरी करते हैं। 61.80 प्रतिशत किसानी करते हैं। सेवा प्रदाता केवल 0.84 प्रतिशत हैं।

इसी तरह 6.75 फीसद थारू भूमिहीन हैं। 46.34 फीसद थारू के पास एक एकड़ से कम जमीन है। 39.89 फीसद थारू के पास एक से दो एकड़ जमीन है। 5.05 फीसद थारू के पास दो से तीन एकड़ जमीन है जबकि 1.97 फीसद के पास तीन एकड़ से अधिक जमीन है। यह अध्ययन इस साल अगस्त में बहराइच जिले में किया गया।

राम केवी

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