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UP: पूर्व जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह का मनगंढ़त साक्षात्कार लिखने वाले पत्रकार की सजा बरकरार, हाईकोर्ट से राहत नहीं

UP: अधिकारी अनंत कुमार सिंह के मनगढंत साक्षात्कार (concocted interview) को लिखने और छापने के आरोपी पत्रकारों को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से कोई राहत नहीं मिली है।

Krishna Chaudhary
Published on: 11 Aug 2022 7:32 PM IST
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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Social Media)

Lucknow: IAS अधिकारी अनंत कुमार सिंह के मनगढंत साक्षात्कार (concocted interview) को लिखने और छापने के आरोपी पत्रकारों (journalists) को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच से कोई राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए पुनरीक्षण याचिका को निरस्त कर दिया। सुनवाई के दौरान निचली अदालतों में दोषी ठहराए गए रिपोर्टर रमन किरपाल, संपादक एके भट्टाचार्य़, मुद्रक एवं प्रकाशक संजीव कंवर ने अपने अपराध को स्वीकार करते हुए परिवीक्षा पर छोड़े जाने की याचना की।

उन्होंने अपने अपराध के लिए अनंत कुमार सिंह (Anant Kumar Singh) से बिना शर्त क्षमा याचना भी की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को कायम रखते हुए पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी, परंतू जेल की सजा भोगने के स्थान पर एक साल तक अच्छे आचरण एवं इस प्रकार का कोई अपराध न करने के लिए निचली अदालत में 50 हजार रूपये का बांड उनके द्वारा भरने पर उन्हें परिवीक्षा पर छोड़ने का आदेश दिया है।

साथ ही उच्च न्यायालय ने सजा प्राप्त को 1 लाख रूपये, सजा प्राप्त संपादक एके भट्टाचार्य़ और मुद्रक एवं प्रकाशक संजीव कंवर को 50-50 हजार रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में अनंत कुमार सिंह को भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। अदालत ने साथ में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर इन सजा – प्राप्तों के द्वारा ऊपर के किसी भी शर्त का उल्लंगन किया जाता है तो उसे मूल सजा भुगतनी होगी।

क्या है पूरा मामला

अक्टूबर 1994 में अनंत कुमार सिंह जब मुजफ्फरनगर जिले के डीएम हुआ करते थे, उस दौरान उनका एक साक्षात्कार प्रश्नोत्तर के रूप में उनके फोटो के साथ अंग्रेजी अखबार 'दि पॉयनीर' के दिल्ली एवं लखनऊ और हिंदी अखबार 'स्वतंत्र भारत' के लखनऊ संस्करणों में छपा था। जिसका शीर्षक था – 'निर्जन स्थान में कोई भी महिला के साथ बलात्कार करेगा –डीएम मुजफ्फरनगर'। अनंत कुमार सिंह ने इस साक्षात्कार को झूठा एवं मनगंढ़त बताते हुए उसी दिन इन अखबारों के संपादकों को अपना खंडन भेज दिया था। मगर इन लोगों ने सिंह के खंडन को एक सप्ताह तक प्रकाशित नहीं किया और जब किया भी तो कांट-छांटकर चिट्ठी – पत्री के कॉलम में, रिपोर्टर के झूठे दावे के साथ, जिससे लोगों को यह लगे कि वास्तव में साक्षात्कार हुआ था।

उधर, इस साक्षात्कार को लेकर बवाल शुरू हो गया था। अनंत कुमार सिंह राजनेताओं, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गए थे। अखबारों, पत्रिकाओं और खुले मंचों से उनकी कड़ी आलोचना हो रही थी।

आरोपी पत्रकारों पर सिंह ने ठोका मुकदमा

अनंत कुमार सिंह ने अपने खिलाफ हुए इस आपराधिक कृत्य के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने रिपोर्टर रमन किरपाल, संपादक एके भट्टाचार्य़ एवं घनश्याम पंकज तथा मुद्रक एवं प्रकाशक संजीव कंवर और दीपक मुखर्जी के विरूद्ध मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ के कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद साल 2007 में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सतीश चन्द्रा ने रिपोर्टर रमन किरपाल को एक साल की सजा एवं पांच हजार रूपये का जुर्माना किया जबकि संपादक एके भट्टाचार्य़ एवं घनश्याम पंकज तथा मुद्रक एवं प्रकाशक संजीव कंवर और दीपक मुखर्जी को 6-6 माह की कारावास तथा 2-2 हजार का जुर्माना किया।

पत्रकारों ने फैसले को दी चुनौती

मजिस्ट्रेट के आदेश को सभी पांचों सजा प्राप्तों ने अपर जिला जज के न्यायालय में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त घनश्याम पंकज की मौत हो गई। साल 2012 में अपर जिला जज पीएन श्रीवास्तव ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। इस आदेश के खिलाफ फिर सजा प्राप्तों ने हाईकोर्ट में रिविजन दाखिल किया था। इस पर सुनवाई के दौरान एक और अभियुक्त दीपक मुखर्जी की मौत हो गई ।

बता दें कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी साल 1996 में रिपोर्टर द्वारा लिखे गए मनगंढ़त साक्षात्कार को प्रकाशित करने के लिए तीनों समाचारपत्रों की निंदा कर चुका है।



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