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कोर्ट पर भारी पड़ा जांच कमेटी का निर्णय, डीरेका के 7 कर्मचारी बर्खास्त
वाराणसी: डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) में अपनी मांग को लेकर आंदोलन करने वाले सात कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। शनिवार की दोपहर को डीरेका प्रशासन ने ऐसे सात कर्मचारियों को बर्खास्त करने का निर्णय लिया जिन्होंने 2009 में धरना प्रदर्शन किया था।बर्खास्तगी का निर्णय डीरेका द्वारा गठित जांच कमेटी की संस्तुति के आधार पर किया गया है।
कर्मचारियों की बर्खास्तगी की खबर से परिसर में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि कर्मचारियों को सक्षम अधिकारी के सामने अपील करने के लिए 45 दिन का मौका भी दिया है। पीएम मोदी का डीरेका से विशेष लगाव है। बता दें कि पीएम जब भी काशी में आते हैं तो वे डीरेका परिसर जरूर जाते हैं।
आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने के लिए चलाया था आन्दोलन
कर्मचारियों का आरोप है कि डीरेका में इंजन निर्माण के लिए बहुत से पार्ट्स बाहर से मंगाए जाते हैं। इन पार्टस की आउटसोर्सिंग रोकने के साथ इन्हें डीरेका में ही बनाने की मांग को लेकर 10 नवम्बर 2009 को कर्मचारियों ने आंदोलन किया था। इसके अलावा कर्मचारियों की अन्य मांग ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगानी भी थी। कर्मचारियों का आंदोलन तीन दिने चलने के बाद 13 नवम्बर 2009 को खत्म हो गया था। हालांकि डीरेका प्रशासन ने आंदोलन पर सख्त रुख अपनाया था और लगभग 1760 कर्मचारियों का वेतन भी काटा था।
कोर्ट पहुंचा था मामला
डीरेका प्रशासन ने आंदोलन के दौरान कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और मामला कोर्ट में भी पहुंचा था। कोर्ट से साल 2015 में निर्णय आया था कि आंदोलन में शामिल कर्मचारी काम करते रहें और इनके क्रियाकलापों पर साल भर नजर रखी जाए। इसी बीच डीरेका द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट भी आ गई, जिसके आधार पर ही कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है।
कर्मचारी परिषद् के सदस्य भी शामिल
बर्खास्त होने वालों में कर्मचारी परिषद् के सदस्य और परिषद् के पूर्व संयुक्त सचिव अमर सिंह सहित सात कर्मचारियों का नाम है। डीरेका में तैनात यह सभी कर्मचारी स्थायी थे। अब कर्मचारियों के पास कोर्ट या फिर सक्षम अधिकारियों के सामने जाने के अलावा अन्य विकल्प नहीं बचा है। हालांकि डीरेका के पीआरओ प्रदीप मिश्रा से जब फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।