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'सेवा लोक अदालत': हाईकोर्ट की सलाह भी राज्य सरकार के लिए बेकार
सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को निपटाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की मंशानुसार 30 मई 2008 को विभागीय विवाद समाधान फोरम बनाया गया था।
लखनऊ: सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को निपटाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की मंशानुसार 30 मई 2008 को विभागीय विवाद समाधान फोरम बनाया गया था।
निर्णय लिया गया कि हर तीन महीने के एक शनिवार को ‘सेवा लोक अदालत’ लगेगी जो सेवा संबंधी मामले सुनेगी और आपसी विवादों को तालमेल से निपटाया जाएगा। लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी एक भी ‘सेवा लोक अदालत’ नहीं लग सकी। जबकि विभागीय समाधान फोरम की संख्या दो से बढ़ाकर चार भी कर दी गई थी।
दरअसल पहले यह फोरम दो रूप में बनाया गया था। बाद में दो की जगह चार ‘विभागीय विवाद समाधान फोरम’ बना। इसमें सभी संवर्ग और विभिन्न कर्मचारी संगठन के पदाधिकरियों को शामिल किया गया।
फोरमों में शासन स्तर पर प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन, वित्त, न्याय के अफसरों के साथ महाधिवक्ता द्वारा नामित अधिवक्ता को सदस्य बनाया गया था। अब तक इसकी एक भी बैठक नहीं हो सकी है।