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बेसहारा को SI ने दिया सहारा, वर्दी पहन पेश की इंसानियत की मिसाल
सुलतानपुर : हमारे समाज में वर्दी पहने पुलिस वालों की पहचान अमूमन खौफ या बर्बरता के रूप में ही होती है। इसकी वजह कुछ खाकी वर्दी वाले ही बने हैं, लेकिन सब एक से स्वभाव के नहीं है। कुछ के अंदर मानवता अभी भी कायम है। इन्हीं मानवीय संवेदना से लबरेज एसआई एसपी सिंह हैं, जो सुल्तानपुर के बल्दीराय थाने के इंचार्ज हैं। जिन्होंने एक बेसहारा को सहारा देते हुए वर्दी पहनकर इंसानियत की मिसाल पेश की है।
मां-बेटी की दास्तां सुन पसीजा एसआई का दिल
एसआई एसपी सिंह द्वारा इंसानियत की लिखी गई वो कहानी ये है कि थाना क्षेत्र की ज्ञाना जायसवाल बेटी मोहिनी को लेकर थाने पहुंच गईं। मां-बेटी ने एसआई को रोते हुए अपनी जो दास्तां सुनाई उसे सुनकर एसआई एसपी सिंह का दिल पसीज उठा। बगैर कुछ सोच-विचार किए उन्होंने सिपाही को बुलाया, जेब से रुपए निकाल कर दिए और कहा जाओ इन पैसों से सिलाई मशीन खरीद लाओ। थोड़ी देर में सिपाही मशीन लेकर हाज़िर था, जिसे एसआई एसपी सिंह ने अपने हाथों से मोहिनी को दिया और कहा बेटी अब तुम इससे मेहनत करके अपना और मां का पेट पाल सकती हो।
शराबी पति ने किया परिवार को तबाह
दरअसल गरीबी का दंश झेल रही ज्ञाना जायसवाल के घर पर 1 सितंबर, 2017 को बड़ी अनहोनी ने दस्तक दी। घर में खाना बनाते समय एका-एक आग के शोले भड़क उठे और कुछ ही पल में सारी गृहस्थी जलकर खाक हो गई। जिसे देख मां-बेटी बेसुध हो गईं। उसका कारण ये था कि अगर ज्ञाना जायसवाल का पति लायक होता तो गृहस्थी दोबारा भी बनाई जा सकती थी, लेकिन कहने को तो ज्ञाना जायसवाल का पति प्रदीप जायसवाल बाहर रहकर कमाता है। शराब की लत ने उसे और उसके परिवार को तबाह कर दिया है। नतीजतन अब मां-बेटी के आगे गृहस्थी बनाने का कोई सहारा नहीं था।
अब किसी के सामने नहीं फैलाना पड़ेगा हाथ
हादसे के बाद फौरी तौर पर कुछ लोगों ने आर्थिक मदद कर अपना दायित्व निभाया और फिर हाथ खींच लिए। जाहिर सी बात है जहां पूरी गृहस्थी ही उजड़ गई हो वहां सबसे पहले हर व्यक्ति अपने पेट में उठी आग को ही बुझाएगा, फिर घर गृहस्थी बनाने की सोचेगा। यही मां-बेटी ने भी किया। जो मदद मिली उससे पेट की आग को बुझाया और अब फाके की नौबत आ गई। ऐसे में एसआई की इस मदद ने मां-बेटी को जीवन जीने का सहारा दे दिया। वो भी ऐसा कि अब मां-बेटी को किसी के सामने हाथ फैलाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
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