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...तो क्या शाहिद अखलाक की बसपा में होगी वापसी? 'राजनीतिक वनवास' खत्म होने का इंतजार
हाजी शाहिद अखलाक अगर बसपा में वापसी करते हैं, तो कोई अचरज की बात नहीं। क्योंकि, बसपा और शाहिद दोनों को ही 'जिंदा' रहने के लिए एक-दूसरे की जरूरत है।
Meerut News: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती (Mayawati) के बुलावे को भले ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी (Naseemuddin Siddiqui) ने ठुकरा दिया हो, लेकिन प्रदेश में कई ऐसे मुस्लिम नेता भी हैं, जिन्हें पार्टी से निकाले जाने के बाद आज भी बसपा सुप्रीमो के बुलावे का बेसब्री से इंतजार है। उन्हीं में एक नाम मेरठ के पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक (Haji Shahid Akhlaq) का है।
करीब 5 साल पहले 'हाथी' की सवारी से उतारे गए पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक फिलहाल किसी भी दल में नहीं हैं। इस बीच उनकी तरफ से बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) में वापसी के अलावा सपा (SP) में शामिल होने के काफी प्रयास किए गए थे।
बसपा के 'सोशल इंजीनियरिंग' में फिट बैठ रहे शाहिद
आज जब Newstrack.com/अपना भारत संवाददाता ने शाहिद अखलाक से बसपा में वापसी को लेकर सवाल किया, तो उनका जवाब काफी सकारात्मक (Positive) दिखा। बसपा के इस पूर्व सांसद ने कहा, कि 'बहनजी ने मुनकाद अली जी को फिर से मेरठ की कमान दे दी है। बात चल रही है। अपने साथी कार्यकर्ताओं से सलाह-मशविरा कर जल्द ही फैसला लूंगा।' गौरतलब है, कि शाहिद अखलाक और मुनकाद अली के बीच काफी मधुर संबंध हैं। फिर, शाहिद का अपनी पुरानी पार्टी में जाना इसलिए भी संभव है, क्योंकि बसपा की सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) का फार्मूला बिना मुस्लिमों के संभव नहीं है।
AIMIM में जाने की भी थी अटकलें
याद करें, विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक की एक फेसबुक पोस्ट (Facebook Post) के बाद सियासी गलियारों में उनके ओवैसी की पार्टी AIMIM में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे। अखलाक ने अपनी इस पोस्ट में अपने साथ ओवैसी की तस्वीर लगाते हुए लिखा था, कि 'मुसलमानों के लिए अब दरी बिछाने का नहीं, सत्ता में भागीदारी का वक्त है।'
बसपा और शाहिद दोनों को एक-दूसरे की जरूरत
इस घटनाक्रम को छोड़ दें, तो शाहिद अखलाक पिछले विधानसभा चुनाव में पूरी तरह निष्क्रिय दिखे थे। ऐसे में जबकि बसपा को प्रदेश में पुनः जिंदा होने के लिए कद्दावर मुस्लिम नेताओं की जरूरत है, वहीं शाहिद अखलाक के लिए अपना 'राजनीतिक वनवास' खत्म करने की तड़प है। ऐसे में अगर वो बसपा में वापसी करते हैं तो कोई अचरज की बात नहीं। क्योंकि, बसपा और शाहिद दोनों को ही 'जिंदा' रहने के लिए एक-दूसरे की जरूरत है।
अखिलेश से मुलाकात के बाद हुए थे बसपा से बाहर
वैसे भी शाहिद अखलाक का बसपा से पुराना नाता रहा ही है। बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर ही वे सांसद बने। मेयर चुने बने। बाद में नाराज होकर अपनी पार्टी बनाई। फिर बसपा में लौट आए। साल 2014 में मेरठ लोकसभा से मजबूती से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 28 सितंबर 2016 को शाहिद अखलाक ने तत्कालीन दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री आशु मलिक के साथ लखनऊ जाकर सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात भी की थी। उनकी उस मीटिंग का फोटो व्हाट्सऐप पर वायरल भी हुआ था। तब बसपा में हड़कंप भी मचा था। बसपा नेताओं ने यह फोटो सुप्रीमो मायावती के दरबार में पेश कर दी। जिसके बाद शाहिद और उनके भाइयों को पार्टी से निकाल दिया गया। तर्क दिया गया कि शाहिद खुद को राज्यसभा भेजने की जिद कर रहे थे और दबाव बना रहे थे।
बहरहाल, अब जबकि बसपा और शाहिद दोनों एक-दूसरे की जरूरत बन गए हैं। सभी की निगाहें शाहिद के अगले कदम पर लगी है। हालांकि, उम्मीद यही है कि उनके कदम वापस अपने पुराने घर की तरफ मुड़ेंगे।