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घोषणाएं सिर्फ हवा हवाई: कोल्ड स्टोर ने सङक पर फेंका आलू , मची लूट
क्या आपने कभी आलू की लूट देखी है। अगर नही देखी तो आज हम आपको आलू की लूट दिखाएंगे। जहां कोल्ड स्टोर मालिकों ने किसानों के हजारों कुन्टल आलू को सड़क पर फेंक दि
शाहजहांपुर: क्या आपने कभी आलू की लूट देखी है। अगर नही देखी तो आज हम आपको आलू की लूट दिखाएंगे। जहां कोल्ड स्टोर मालिकों ने किसानों के हजारों कुन्टल आलू को सड़क पर फेंक दिया। ग्रामीणों ने किसानों के लिए आलू की लूट कर दी। कीमत से ज्यादा किराया होने के कारण किसान स्टोर से आलू वापस नही ले पा रहा है और आलू किसानों के लिए सरकार की सभी योजनाएं फेल नजर आयी।
सरकार ने आलू किसानों के लिए तमाम बेहतर घोषणाए की थी लेकिन सरकार की घोषणाए सिर्फ हवा हवाई साबित हुई है। यही वजह है कि आज किसानों का पैदा किया गया आलू सड़कों पर कूड़े की तरह फेंका जा रहा है और उसके आलू की लूट उसके ही आखों के सामने हो रही है।
घोषणाए सिर्फ हवा हवाई: कोल्ड स्टोर ने सङक पर फेका आलू , मची लूट
सड़क के किनारे बिखरा पड़ा हजारों कुन्टल आलू और ग्रामीणों द्वारा आलू की लूट का ये नजारा शाहजहांपुर के जलालाबाद तहसील का है। कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने स्टोर से किसानों के आलू सड़कों पर फेंकना शुरू कर दिया है। क्योकि किसानों ने कोल्ड स्टोरेज से अपना आलू लेने से इन्कार कर दिया है। किसानों का कहना है कि बाजार में जितनी कीमत आलू की मिल रही है उससे ज्यादा स्टोरेज का किराया बन रहा है। ऐसे में किसानों के सामने आलू को छोड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नही है।
घोषणाए सिर्फ हवा हवाई: कोल्ड स्टोर ने सङक पर फेका आलू , मची लूट
वहीं कोल्ड स्टोरेज मालिक नितिन सक्सेना का कहना है कि आलू के रख रखाव पर कहीं ज्यादा खर्चा आ रहा है। यही वजह है कि कोल्ड स्टोरेज मालिकों के पास सिवाए कोल्ड स्टोरेज को खाली करने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नही है। आलम ये है कि किसानों के आलू को सड़कों पर फेंका जा रहा है। हालाकि किसानों को नुकसान हो ही रहा है साथ कोल्ड स्टोरेज मालिकों को किराया न मिलने से उनका भी लाखों का नुकसान हो रहा है। कोल्ड स्टोर मालिक ने बताया कि उन्होंने बीस हजार बोरी आलू सङक पर फेंका है। करीब बीस लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
वहीं किसानों का कहना है कि बाजार में आलू का भाव बेहद कम है जबकि उन्हे कोल्ड स्टोरेज में रखे पचास किलों के एक बोरे का 90 रूपये किराया देना पड़ रहा है। जिसमें किसान को फायदे के बजाए नुकसान उठाना पड़ेगा।