TRENDING TAGS :
भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां के बेटे उस्ताद जामिन हुसैन का निधन
भारत रत्न सम्राट बिस्मिल्लाह खां की विरासत संभालने वाले उनके बेटे जामिन हुसैन की सांसें शनिवार (10 फरवरी) को थम गईं और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। हुसैन 74 साल के थे। शनिवार सुबह 6 बजे कालीमहल स्थित निवास पर उस्ताद जामिन हुसैन ने अंतिम सांसें लीं। शनिवार शाम बाद नमाज़ अस्र लगभग शाम 4:30 दरगाह फ़ातमान स्थित कब्रस्तान में उन्हें सुपुर्द ख़ाक़ किया जाएगा।
लखनऊ: भारत रत्न सम्राट बिस्मिल्लाह खां की विरासत संभालने वाले उनके बेटे जामिन हुसैन की सांसें शनिवार (10 फरवरी) को थम गईं और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। हुसैन 74 साल के थे। शनिवार सुबह 6 बजे कालीमहल स्थित निवास पर उस्ताद जामिन हुसैन ने अंतिम सांसें लीं। शनिवार शाम बाद नमाज़ अस्र लगभग शाम 4:30 दरगाह फ़ातमान स्थित कब्रस्तान में उन्हें सुपुर्द ख़ाक़ किया जाएगा।
हुसैन के परिजनों ने बताया कि वह पिछले 2 वर्ष से मधुमेह और अन्य बीमारियों के चलते बीमार चल रहे थे। अंतिम संस्कार की रस्म दरगाह फातमान में शाम 5 बजे होगी।
शहनाई से खूब बटोरीं सुर्खियां
उस्ताद ज़ामिन हुसैन अपने 5 भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। इससे पुर्व उस्ताद बिसमिल्लाह खां के दो बड़े पुत्र महताब हुसैन औरव नैय्यर हुसैन का भी देहांत हो चुका है। उस्ताद नैय्यर हुसैन कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज चल रहा था। बता दें कि उस्ताद जामिन हुसैन ने भी अपनी शहनाई से खूब सुर्खियां बटोरीं। हर कोई उनकी शहनाई की धुन का मुरीद रहा है। यही वजह है कि उनके निधन से चारों तरफ शोक की लहर है।
दूसरी पीढ़ी का भी अंत
माना जा रहा है कि उस्ताद हुसैन के साथ ही शहनाई की दूसरी पीढ़ी का भी अंत हो गया। एक बार उस्ताद ने कहा भी था कि धुनों के बिखरते सुरों को देखते हैं तो उन्हें बहुत अफसोस होता है। उस्ताद ज़ामिन हुसैन के देहांत की ख़बर पाते ही संगीत जगत के लोगों में ग़म की लहर दौड़ गई। उस्ताद ज़ामिन हुसैन के आवास कालीमहल पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा।
मोदी का प्रस्तावक बनने से किया था इंकार
जामिन हुसैन ने अपने पिता बिस्मिल्लाह खां की विरासत को संभाला था। पिता बिस्मिल्लाह खां की छांव में शहनाई के सुरों को समझा। अपने पिता की तरह जामिन भी ताउम्र संगीत साधना में लगे रहे। शहनाई के अलावा उन्हें कभी कुछ नहीं सूझा। बिस्मिल्ला खां के देहांत के बाद बीजेपी ने उन्हें नरेंद्र मोदी का प्रस्तावक बनने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जामिन ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि उनका परिवार सिर्फ संगीत के लिए बना है।
शहनाई जगत में आया ‘शून्य’
जामिन के इंतकाल के बाद बनारस के शहनाई जगत में शून्य पैदा हो गया है। बिस्मिल्लाह खां के बाद जामिन ही शहनाई के सबसे बड़े कलाकार थे। उनकी मौत की खबर मिलते ही संगीत प्रेमी शोक में डूब गए। जामिन के साथ कई बार मंच साझा कर चुके तबला वादक अशोक पांडेय के मुताबिक बनारस के संगीत घराने के लिए एक बड़ी क्षति है। अशोक पांडेय ने बताया कि बीस दिन पहले ही चंडीगंढ़ में जामिन के साथ उन्होंने एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। खराब सेहत के बावजूद जामिन ने कार्यक्रम में ऐसा शमां बांधा कि वहां मौजूद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर भी जामिन के मुरीद बन गए।