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मुस्लिम बेटी ने दिखाया हुनर, पूरी दुनिया ने कहा वाह भाई वाह
राम मंदिर हो या फिर सीएए और एनआरसी इन मुद्दों को नेताओं ने अपने फायदे को लेकर हिंदू और मुस्लिम के बीच बड़ी खाई पैदा कर दी है।
आसिफ अली
शाहजहांपुर: राम मंदिर हो या फिर सीएए और एनआरसी इन मुद्दों को नेताओं ने अपने फायदे को लेकर हिंदू और मुस्लिम के बीच बड़ी खाई पैदा कर दी है। लेकिन यूपी के शाहजहांपुर में एक ऐसी बेटी भी है। जो इस खाई को खत्म करने की कोशिश कर रही है। ऐसी बेटी जिसकी सुबह होते ही सर सज्दे में होता है उसके बाद कुरान पड़ती है। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि वही घर के अंदर भजन भी गाती है। इतना ही नहीं भजन गाने का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। वही बेटी अब सिंगर इफतेखार से रोज शाम मेंअभ्यास करती है। खास बात ये है कि एक न्यूज चैनल ने इस बेटी को नातिया कलाम पढ़ने पड़ने पर पहला पुरस्कार भी दिया था।
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पिता मोहम्मद इकबाल एक छोटी सी पान की दुकान चलाते है
थाना सदर बाजार के तारीन जलालनगर मोहल्ले में रहने वाले मोहम्मद इकबाल एक छोटी सी पान की दुकान चलाते है। पान की दुकान से होने वाली कमाई से वह अपने परिवार का भरण पोषण करते है। उनकी 19 वर्षिय बेटी आरजू ने अपने पिता जी का नाम जिले से लेकर प्रदेश तक मेंरौशन कर दिया है। आरजू वैसे तो सुबह उठने के बाद नमाज पढ़ती है। उसके बाद कुरान की तिलावत भी करती है। लेकिन उसके बाद वह घर के अंदर भजन गाती है। खास बात ये है कि आरजू जब भजन गाती है। तब उसकी खनकती आवाज पूरे घर मेंगूंजती है। आरजू के परिवार के लोग भी आरजू के भजन बहुत ही मन से सुनते है। दिल मेंकुरान और नमाज पढ़ने का जज्बे के साथ साथ वह धर्म और जात से ऊपर उठकर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बन गई है।
आरजू के पिता मोहम्मद इकबाल बताते है कि बचपन से ही आरजू को गाने सुनने और गाने का बहुत ही शौक रहा है। धीरे धीरे आरजू ने घर मेंगाना गुनगुनाना शुरू कर दिया। उसका शौक देखकर उसको परिवार के सभी लोगों ने हौसला अफजाई की। जिसके बाद आरजू ने मोहल्ले मेंघरों मेंहोने वाले नातिया कलाम पङना शुरू कर दिया। मोहल्ले की सभी महिलाएं भी आरजू की आवाज की दिवानी हो गई।
मिलाद शरीफ पढ़ते वक्त आरजू का सामना शाहजहांपुर में मशहूर सिंगर इफतेखार से हुआ
मिलाद शरीफ पढ़ते वक्त आरजू का सामना शाहजहांपुर में मशहूर सिंगर इफतेखार से हुआ। उन्होंने आरजू को और आगे बढ़कर कुछ अलग करने का हौसला दिया। तभी आरजू को उस्ताद इफतेखार ने अभ्यास कराना शुरू किया। तब आरजू ने सबसे पहले भजन गाने का मन बनाया। आरजू रोज शाम मेंअपने उस्ताद के बाद भजन गाना सीखती थी और सुबह मेंनमाज और कुरान की तिलावत के बाद घर मेंभजन गाती है। आरजू को करीब दस भजन जबानी याद है।
आरजू का कहना है कि वह पांच वक्त की नमाज पढ़ती है और कुरान भी पड़ती है। लेकिन इसके साथ साथ वह भजन गाने का बेहद शौक है। मेरे आगे कभी भी मेरा धर्म आड़े नहीं आता है। क्योंकि हमारे परिवार वाले सभी हमारा साथ देते है। उनका कहना है कि लोग धर्म के नाम पर हिंदू मुस्लिम के बीच खाई पैदा कर रहे हैं।
आरजू ने पहले हारमोनियम पर पकड़ बनाई। फिर पहली बार किशोर अवार्ड के जरिए मंच तक पहुंची। मंच के सामने बैठी भीड़ को देखकर पैर कांपे, पर खुद को संभाला। उसके बाद अपनी आवाज से पहला पुरस्कार प्राप्त कर किशोर अवार्ड की विजेता बनी। वहीं शाहजहांपुर के तारीन जलालनगर में आरजू कृष्ण भजन गाकर लोगों को हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रही है। आरजू का सबसे पसंदीदा भजन मोहे रंग दो लाल है। एमए पास आरजू को एक न्यूज चैनल ने नातिया कलाम में पहला पुरस्कार दिया था।