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Shamli News: ओवरफ्लो होकर टूटी मामौर झील, दर्जनों किसानों की फसलें व मकान डूबे

Shamli News: आए दिन प्रकृति का कहर देखने को मिलता है। जब प्रकृति हमें कुछ देती है तो उसका अच्छे से इस्तेमाल करना चाहिए अन्यथा प्रकृति ही उसे अपने में समावेश कर लेती है।

Pankaj Prajapati
Report Pankaj PrajapatiPublished By Shweta
Published on: 23 Jun 2021 7:59 AM GMT
पानी के रास्ते आते हुए ग्रामीण
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पानी के रास्ते आते हुए ग्रामीण

Shamli News: आए दिन प्रकृति का कहर देखने को मिलता है। जब प्रकृति हमें कुछ देती है तो उसका अच्छे से इस्तेमाल करना चाहिए अन्यथा प्रकृति ही उसे अपने में समावेश कर लेती है। इसी तथ्य का उदाहरण बना है मामौर झील का टूट जाना। इस के टूटने से किसानों का भरी नुकसान हुआ है।

इनके लिए मुसीबत का सबब बनी मामौर झील एक बार फिर ओवरफ्लो होकर टूट गई है। इस झील का गंदा पानी दर्जनों किसानों की हजारों बीघा धान की फसलों में भर गया है। इसके अलावा ग्रामीणों के मकानों में भी झील का पानी भर गया है। इस भयावह जलजमाव के कारण ग्रामीणों के मकान गिरने का भी खतरा बन गया है। इसके अलावा धान की फसलें भी बर्बाद हो चुकी हैं।

आपको बता दे कि पिछले कई सालों से कैराना नगर का गंदा पानी नालों से होते हुए मामौर स्थित झील में जाता है। वहीं हर साल बरसात के दिनों में झील ओवरफ्लो होकर टूट जाती है तथा झील का गंदा पानी किसानों की खेतों में घुसकर फसलों को बर्बाद कर देता है। आज सुबह करीब 3 बजे मामौर निवासी किसान सुरेंद्र के खेत के पास झील पर लगाई गई मिट्टी की आड़ टूट गई। झील टूटने के बाद ग्रामीणों ने पानी रोकने का पूरा प्रयास किया। लेकिन पानी का तेज बहाव होने के कारण पानी नहीं रुक सका।

पानी में डूबा गांव

पानी के तेज बहाव के कारण झील का गंदा पानी कामिल, जावेद, सराफत, इलियास, नासिर, रक्खा, दल्ली, मुनव्वर आदि ग्रामीणों के मकानों में घुस गया। इसके अलावा झील का पानी किसान सुरेंद्र की 20 बीघा, मनजीत की 15 बीघा, साबुद्दीन मास्टर की 10 बीघा, कुलदीप की 25 बीघा, लक्खा की 15 बीघा, नरेंद्र 20 बीघा, गांव सहपत निवासी किसान यशपाल की 10 बीघा, जगदीश की 15 बीघा आदि दर्जनों किसानों की हजारों बीघा धान की फसलों में भर गया। जिस कारण धान की फसलें भी बर्बाद हो गई। किसानों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है। बता दें कि पिछले दिनों जल निगम द्वारा मामौर झील के गंदे पानी को साफ करने के लिए 68 करोड़ की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।लेकिन यह योजना केवल कागजों में ही सिमट कर रह गई। झील टूटने की सूचना पर एसडीएम उदभव त्रिपाठी मौके पर पहुंचे तथा पानी को बंद कराने का आश्वासन दिया।

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