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रिएलिटी चेक: स्कूलों की गाड़ियों का बुरा हाल, कहीं लापरवाही न बन जाए बच्चों का काल

झिंझाना कस्बे में स्कूलों की गाड़ियों का बुरा हाल है। लाखो की बिल्डिंग, हजारों में फीस ,पर बच्चो को लाने और ले जाने वाली गाड़ियों की स्थिति बुरी है। गाड़ियों मे ना तो फस्टएड बाक्स, ना आग बुझाने वाला सिलेन्डर, ना गाड़ियों के शीशे सही ना लाइट, ना ड्राइवरो की वर्दी ना पुलिस वेरिफिकेशन, ना गाड़ियों का रंग नियम अनुसार, एक गाड़ी मे फस्ट एड बाक्स मिला पर उस मे एक्सपायरी डेट वाली दवाई मिली, जो 2012 मे एक्सपायर हो चुकी थी। कुल मिलाकर गाड़ियां तो है स्कूल मे लेकिन कोई नियम नहीं।

priyankajoshi
Published on: 17 Aug 2017 5:19 PM IST
रिएलिटी चेक: स्कूलों की गाड़ियों का बुरा हाल, कहीं लापरवाही न बन जाए बच्चों का काल
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शामली : झिंझाना कस्बे में स्कूलों की गाड़ियों का काफी बुरा हाल है। बच्चों को लाने-ले जाने वाली गाड़ियों की स्थिति खस्ताहाल है। गाड़ियों में ना तो फस्टएड बॉक्स हैं और ना ही आग बुझाने के सिलेन्डर। गाड़ियों के शीशे भी सही नहीं हैं।

वहीं ड्राइवरों की वर्दी हो या गाड़ियों के पुलिस वेरिफिकेशन का मामला। हर जगह हालत बदतर ही दिखी। इन बसों के फर्स्ट एड बॉक्स में मिली दवाइयां साल 2012 में ही एक्सपायर हो चुकी थी। कुल मिलाकर कहें तो स्कूल में गाड़ियां तो हैं लेकिन कोई नियम नहीं। newstrack.com की टीम ने शामली के स्कूलों का रिएलिटी चेक किया।

गाड़ियों का किया रिएलिटी चेक

आए दिन कहीं ना कहीं स्कूल की गाड़ियों के साथ हादसों की खबर देखने-पढने को मिलती है। वहीं अगर शामली की बात करें तो यहां के अधिकारियों का इस ओर ध्यान ही नहीं है। जिले के स्कूलों में चल रहे वाहनों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। newstrack.com की टीम ने शामली जिले के झिंझाना कस्बे में मौजूद स्कूलों की गाड़ियों का रिएलिटी चेक किया, तो एक भी गाड़ी नियमों पर खरी नहीं उतरी। जब हमारी टीम झिंझाना कस्बे के सेंट आरसी कॉन्वेंट स्कूल पहुंची तो वहां बहुत सी गाड़ियां दिखाई दी। लेकिन कोई भी गाड़ी मानकों को पूरा करती नहीं दिखाई दी।

जब वहां के प्रधानाचार्या से नियमों के बारे मे पूछा तो पता चला कि उन्हें खुद सारे नियम नहीं पता। हर सवाल पर यहीं कहते नजर आ रहे है कि जो दिक्कत है, उन्हें दूर किया जाएगा। ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के सवाल पर तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां ड्राइवर 8 साल से पुराने है। लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराई अब करा लेंगे।

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क्या कहना है प्रिंसिपल का?

इसी तरह जब सेन्ट आरसी कॉन्वेंट स्कूल के प्रिंसिपल देवेन्द्र कुमार से नियमों के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उन्हें खुद सारे नियम नहीं मालूम। हर सवाल पर यही कहते नजर आ रहे है कि जो दिक्कत है, उन्हें दूर किया जाएगा। ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के सवाल पर तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां ड्राइवर 8 साल से पुराने है। लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराई अब करा लेंगे।

क्या कहा डी सेंट पब्लिक स्कूल के प्रबंधक ने?

फिर हमारी टीम ने वहां मौजूद गाड़ियों की हालत भी पहले स्कूल जैसे ही निकले। यहां के प्रबंधक से गाड़ियों के नियमों वाला सवाल जब पूछा गया तो वो भड़क गए और कहने लगे हमारी सारी गाड़िया सही है। सब एआरटीओ ने पास कर रखी है।

क्या कहा एआईटीओ ने?

जब टीम ने इस पर एआरटीओ मुंशी लाल से बात की तो वो भी बोले हम जांच कराएंगे जो भी ऐसी गाड़िया है। उन पर कार्यवाही होगी। लेकिन लगता है कि इस देश की सरकार और अधिकारी तब तक नहीं जागते जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता।

नहीं लिया कोई सबक

हालांकि पूर्व 26 मई को बलवंती इंटर कॉलेज से स्कूल छात्राओं को लेकर लौट रही बस अनियंत्रित होकर पलट गई थी। जिसमे एक दर्जन से भी अधिक छात्राएं सवार थी। जिनमे आधा दर्जन छात्राएं गंभीर रूप से घायल हो गई। इस बात से भी कोई सबक नहीं लिया गया।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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