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शारदा सिन्हा ने अश्लील गीतों पर जताई नाराजगी, कही ये बड़ी बात
गोरखपुर महोत्सव में आज भोजपुरी कलाकारों को मंच देने का काम किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण पद्मभूषण शारदा सिन्हा हैं। पटना से चलकर गोरखपुर पहुंची शारदा सिन्हा ने खास बातचीत में कहा कि सालों बाद वह गोरखपुर आई हैं और गोरखपुर में आए बदलाव को देखकर उनको काफी खुशी महसूस हो रही है।
गोरखपुर: गोरखपुर महोत्सव में आज भोजपुरी कलाकारों को मंच देने का काम किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण पद्मभूषण शारदा सिन्हा हैं। पटना से चलकर गोरखपुर पहुंची शारदा सिन्हा ने खास बातचीत में कहा कि सालों बाद वह गोरखपुर आई हैं और गोरखपुर में आए बदलाव को देखकर उनको काफी खुशी महसूस हो रही है।
वर्तमान दौर में भोजपुरी गायकों के द्वारा अश्लील गीतों को गाए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए शारदा सिन्हा ने कहा कि इस दौर में अब गायक तुरंत शोहरत पाने के लिए कुछ भी गाने को तैयार हैं जो भोजपुरी की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है।
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भोजपुरी में अभी काफी कुछ गाए जाने को बाकी है। शारदा सिन्हा ने कहा कि उन्होंने हिंदी फिल्मों में काफी गीत गाए हैं और उनके गीत आज भी लोग उसी चाव से सुनते हैं। अभी भी वह फिल्मों में गीत को लेकर सक्रिय हैं, लेकिन फिल्मों में गीत को लेकर वह काफी चूजी हैं। वह उन्हीं फिल्मों में गीत गाती हैं जहां पर उनकी आत्मा गवाही देती है।
लोक संगीत में शास्त्रीयता के महत्व के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोक संगीत का संबंध हमारे लोक व्यवहार से है जो संस्कारों से जुड़ा है। शास्त्रीयता इसको अस्थाई तो देती है जितने भी लोक गीत रचे गए हैं। वह किसी न किसी शास्त्रीय राग पर आधारित है। जब संगीत है तो राग तो होगा ही। फिल्म संगीत से लोक संगीत के संबंध की चर्चा जब आगे बढ़ी तो वह उन फिल्मी गीतों का जिक्र करना नहीं भूली जो लोकगीतों से प्रेरित होकर गाए गए हैं।
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उन्होंने कहा कि पाकीजा का गीत इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा लोक संगीत से ही लिया गया था इसके अलावा धूल का फूल का गीत तेरा प्यार का आसरा चाहता हूं की तर्ज पर विद्यापति के गीत की पृष्ठभूमि तैयार हुई थी या तो महज बानगी है ऐसे दर्जनों फिल्मी गीत हैं। जिसमें लोकगीतों की ध्वनि उभर कर सामने आती है। ऐसे सभी गीत सुपर डुपर हिट भी हुए हैं। सस्ती लोकप्रियता के फेरे में लोकगीतों के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए शारदा सिन्हा ने कहा कि इससे लोक संगीत को काफी नुकसान पहुंच रहा है।
ज्यादातर गायक बिना रियाज के ऊंचाई पाने की कोशिश में जुटे हैं ऐसे में रियाज की परंपरा ही समाप्त होती नजर आ रही है लोकगीतों का स्तर भी गिरता जा रहा है उन्हें यह समझना होगा कि बिना रियाज की लोकप्रियता अस्थाई साबित होगी।
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वहीं एक सवाल के जवाब में श्रीमती शारदा सिन्हा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं। मैं कभी उनसे मिली नहीं हूं। अगर मैं उनसे मुलाकात हो गई मेरी तो मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझूंगी।