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पहले वक्फ बोर्ड संपत्ति के मामले में फंसे रिजवी, अब हल करा रहे अयोध्या मसला

अयोध्या में 'राम मंदिर-बाबरी मस्जिद' विवाद को सुलझाने की पहल करने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है।

tiwarishalini
Published on: 20 Nov 2017 12:33 PM GMT
पहले वक्फ बोर्ड संपत्ति के मामले में फंसे रिजवी, अब हल करा रहे अयोध्या मसला
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पहले वक्फ बोर्ड संपत्ति के मामले में फंसे रिजवी, अब हल करा रहे अयोध्या मसला

लखनऊ : अयोध्या में 'राम मंदिर-बाबरी मस्जिद' विवाद को सुलझाने की पहल करने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। कश्मीरी मोहल्ला वार्ड सआदतगंज से दो बार सभासद चुने गए वसीम रिजवी पर ह्त्या का आरोप भी लग चुका है। वसीम रिजवी को साल 2008 में बसपा राज में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद के दाहिने हाथ कहे जाने वाले वसीम रिजवी और मौलाना अब एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर समझौता पत्र दाखिल कर दिया है। इस पत्र पर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अतरिक्त सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों के हस्ताक्षर हैं।

वसीम रिज़वी ने ऐसे तय किया सभासद से चैयरमैन वक्फ बोर्ड का सफर

लखनऊ में जन्मे वसीम रिजवी ने लखनऊ के प्ले वे इंटर कॉलेज से इंटर तक शिक्षा ग्रहण की। शिया मुसलमानों के जुलूसों की बहाली को लेकर मौलाना कल्बे जवाद लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। इसी समय वसीम रिजवी हाजी मसीता वक्फ संपत्ति के पेपर के साथ मौलाना कल्बे जवाद से मिले। इस वक्फ जमीन की प्लाटिंग वसीम रिज़वी समेत कई लोग कर रहे थे। मौलाना से मुलाकात के बाद वसीम ने खुद को इस प्लाटिंग से अलग कर लिया। इस दौरान वसीम मौलाना के बेहद करीबी होते गए। साल 2000 में हुए नगर निकाय चुनाव में वसीम रिजवी ने कश्मीरी मोहल्ला वार्ड से किस्मत आजमाई और बड़ी जीत हासिल की। साल 2005 में भी वसीम कश्मीरी मोहल्ला वार्ड से सभासद चुने गए। कहा जाता है की वसीम को मौलाना कल्बे जवाद की नजदीकी के चलते यह सफलता हाथ लगी। साल 2008 में बसपा शासनकाल में वसीम रिजवी को शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया।

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फिर शुरू हुई आपसी तकरार

एक साल बाद ही वसीम रिजवी को शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन पद से हटा दिया गया। इसके बाद शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद के बहनोई प्रो. कमालुद्दीन अकबर को 2009-2010 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। लेकिन, एक साल के अंदर ही प्रो. कमालुद्दीन अकबर का वक्फ बोर्ड से मोहभंग हो गया। इसके चलते वसीम रिजवी को फिर से शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया।

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यहीं से मौलाना कल्बे जवाद और वसीम रिजवी के बीच विवाद शुरू हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी हो गए। मौलाना कल्बे जवाद की शिकायत पर सीबीसीआईडी ने वक्फ घोटाले का मामला दर्ज कर वसीम रिजवी के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। इसी बीच मौलाना कल्बे जवाद की शिकायत पर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया गया। बोर्ड भंग होने के बाद वसीम रिजवी ने कोर्ट का रुख किया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड को बहाल कर दिया। तब से वसीम रिजवी चेयरमैन के पद पर विराजमान हैं।

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