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शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने पेश किया 'मॉडर्न निकाहनामा', कल्बे सादिक को सौंपा

aman
By aman
Published on: 9 Sept 2016 3:51 PM IST
शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने पेश किया मॉडर्न निकाहनामा, कल्बे सादिक को सौंपा
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लखनऊ: तीन तलाक को लेकर इस समय देश में बड़ी बहस छिड़ी हुई है। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। लेकिन इन सबसे अलग हटकर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुक्रवार को अपना 'मॉडर्न निकाहनामा' पेश किया। इस मॉडर्न निकाहनामे में बोर्ड ने महिलाओं को समान अधिकार देने के साथ पत्नी को तलाक का हक देने का दावा किया है।

कल्बे सादिक को सौंपा

शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ.कल्बे सादिक को मॉडर्न निकाहनामा सौंपा है। इस बारे में मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, कल्बे सादिक ने इस निकाहनामे को देशभर में लागू कराने की अपील की। साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आगामी बैठक में इसे शामिल करने का अनुरोध किया।

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इस्लाम में पुरुष-स्त्री को बराबर का हक़

मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि इस्लाम में पुरुष और महिलाओं को बराबर का हक दिया गया है। इसलिए शिया पर्सनल लॉ बोर्ड जल्द सुलतानुल मदारिस में सदस्यों की बैठक कर तीन तलाक सहित अन्य मसलों पर हल निकालने की कोशिश करेगा। साथ ही बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में भी अपना पक्ष रखेगा।

ये है बोर्ड का दावा :

-भारतीय संविधान के दायरे में बना।

-शिया समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु आयतुल्ला सिस्तानी ने इसे दी मंजूरी।

-पति-पत्नी को बराबरी का हक।

-महिलाओं को तलाक का अधिकार।

-जिंदगी की जरूरतों को दो साल तक पूरा न करने पर तलाक का अधिकार।

-महिलाओं को भी नौकरी या रोजगार का हक।

-निकाह के बाद दहेज की मांग करने पर पाबंदी।

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पहली बार 2007 में पेश किया था

मौलाना ने कहा कि साल 2007 में मुंबई में आयोजित अधिवेशन में बोर्ड ने पहली बार अपना निकाहनामा पेश किया था। इस निकाहनामे में हर छोटी-बड़ी बात का विशेष ध्यान रखा गया है। शिया समुदाय में निकाह के लिए गवाह की जरूरत नहीं होती है, लेकिन जब तलाक का मामला आता है तो गवाह जरूरी है।

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कल्बे सादिक ने लागू करने का दिया भरोसा

मौलाना ने कहा, इस्लाम ने निकाह को आसान और तलाक को मुश्किल बनाया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ.कल्बे सादिक ने इस मॉडर्न निकाहनामे पर अपनी मंजूरी देते हुए अन्य पदाधिकारियों से बातचीत कर इसे लागू कराने का भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि वह पहले ही तीन तलाक के बारे में बोर्ड की बैठक में अपनी राय दे चुके हैं। उन्होंने कहा, 'तीन तलाक को लेकर सुन्नी समुदाय के फिरकों में मतभेद है। उन्होंने कहा कि इस जमाने में महिलाओं को नाराज करके किसी भी धर्म को नहीं चलाया जा सकता।'

तीन लाख बार भी तलाक बोलो तो तलाक नहीं होगा

डॉ. कल्बे सादिक ने कहा कि 'तीन तलाक' का मसला बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा, सभी वर्गों के अपने कायदे-कानून हैं, जिन पर अमल करना उनका हक है। मौलाना ने कहा कि 'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में अकसरियत सुन्नी भाइयों की है। तीन तलाक का मामला भी सुन्नी समुदाय से जुड़ा है, जबकि शिया समुदाय में तीन बार क्या, अगर तीन लाख बार भी तलाक-तलाक कहा जाए तब भी तलाक नहीं होगा।' लड़की की मर्जी के बिना तलाक हो ही नहीं सकता। इस्लाम में दो चीजों पर बहुत जोर दिया गया है। पहला कोई भी अमल न्याय के खिलाफ न हो। दूसरा शरियत पर अमल करना। इसलिए पुरुष और महिलाओं को बराबरी का अधिकार है।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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