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अभी-अभी शिक्षामित्रों से जुड़ी आई ये बड़ी खबर, सीएम योगी तक पहुंचा मामला

यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष कौशल किशोर ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिक्षामित्रों के लिए जून महीने के मानदेय के भुगतान की मांग की है।

Aditya Mishra
Published on: 4 Jun 2020 6:26 AM GMT
अभी-अभी शिक्षामित्रों से जुड़ी आई ये बड़ी खबर, सीएम योगी तक पहुंचा मामला
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लखनऊ: यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष कौशल किशोर ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिक्षामित्रों के लिए जून महीने के मानदेय के भुगतान की मांग की है।

इसके पीछे उन्होंने इस महीने में भी सेवा देने का तर्क दिया है। उनका ये भी तर्क है कि हर साल वे एक महीने कोई दूसरा काम कर लेते थे, जिससे उनके परिवार का लालन-पालन हो जाता था लेकिन इस बार ये ऑप्शन भी नहीं है। यहां ये भी बता दें कि कोरोना काल में ड्यूटी करने के बावजूद शिक्षामित्रों को जून महीने का मानदेय नहीं मिलेगा।

आपको मालूम हो कि यूपी सरकार के साथ शिक्षामित्रों का कॉन्ट्रैक्ट 11 महीने का होता है। हर साल उन्हें जुलाई से मई तक 11 महीने का मानदेय 333 रुपये प्रति दिन के हिसाब से मिलता है। अभी तक जून में न वो ड्यूटी करते थे और न उन्हें मानदेय मिलता था।

इस बार शासन के निर्देश पर शिक्षामित्रों की पूरे प्रदेश में अलग-अलग कोरोना से लड़ाई में ड्यूटी लगाई गई है। कहीं वे क्वारेंटाइन सेंटर पर ड्यूटी दे रहे हैं तो कहीं डेटा फीडिंग का काम कर रहे हैं। इसे देखते हुए शिक्षामित्रों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें जून महीने का भी मानदेय दिया जाए।

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सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का लें रहे सहारा

यहां ये भी बता दें कि शिक्षामित्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए टेक्नोलोजी और सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी जून महीने का मानदेय देने के लिए अभियान चलाया है। ट्विटर पर #शिक्षामित्र_मांगे_जून_की_रोटी से कैम्पेन भी शुरू किया है।

कब और कैसे होता है कॉन्ट्रैक्ट रिव्यू

बता दें कि यूपी के प्राथमिक स्कूलों में 1 लाख 59 हजार शिक्षामित्र पढ़ा रहे हैं। सभी को 10 हजार के हिसाब से 11 महीने का मानदेय सरकार देती है। यहां आपको ये भी बता दें कि शिक्षामित्र परमानेंट इम्प्लोयी नहीं हैं और सरकार हर साल 11 महीने के बाद इनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू करती है।

हर महीने इन्हें 10 हजार रुपये मानदेय के रूप में 11 महीनों तक मिलता है। ये संयोग ही है कि जिस 12वें महीने में उन्हें मानदेय नहीं मिलता है, उस महीने में भी उन्हें ड्यूटी देनी पड़ रही है क्योंकि कोरोना संकट चल रहा है।

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अधिकारियों को नहीं सूझ रहा जवाब

इस मामले में अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। फिलहाल इस मामले पर अभी तक स्कूली शिक्षा के किसी बड़े अधिकारी की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इस मामले पर जैसे ही कोई प्रतिक्रिया आती है, उसे भी पब्लिश किया जाएगा।

दूसरी तरफ सरकारी महकमे में ये चर्चा चल रही है कि मार्च से स्कूल बंद हैं। ऐसे में शिक्षामित्रों को अप्रैल और मई के मानदेय बिना सेवा के ही सरकार ने दिया है।

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