TRENDING TAGS :
शिवपाल यादव ने मोदी-योगी को Twitter पर किया फॉलो, NDA में जाने की अटकलें तेज
शिवपाल सिंह यादव ने आज नवरात्रि के पहले दिन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेता डॉ. दिनेश शर्मा को ट्विटर पर फॉलो करना शुरू कर दिया।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहियावादी) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) की बीजेपी में जाने की अटकलें और तेज हो गई हैं। मां दुर्गा के अनन्य भक्त शिवपाल सिंह यादव ने आज नवरात्रि के पहले दिन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेता डॉ. दिनेश शर्मा को ट्विटर पर फॉलो करना शुरू कर दिया।
इससे साफ हो गया है कि अब शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच तल्खी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। कहा जा रहा है, कि अब चाचा-भतीजा के बीच मेल मिलाप की संभावनाओं पर लगभग विराम लग गया है। दरअसल विधानसभा चुनाव के बाद जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हार की समीक्षा के लिए अपने कार्यालय में बैठक की तो उसमें अन्य सभी सहयोगी दलों को बुलाया गया पर उसमें शिवपाल सिंह यादव को नहीं आमंत्रित किया। जिसके बाद शिवपाल समर्थकों में निराशा पैदा हो गयी।
शिवपाल-योगी मुलाकात से अटकलें तेज
इस बीच शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की जिसके बाद उनके भाजपा में जाने की अटकलें लगातार तेज हो रही हैं। इस बीच शिवपाल सिंह यादव दिल्ली भी गए जहां उन्होंने मुलायम सिंह यादव से मुलाकात करके अपना दर्द साझा किया। जहां से उन्हे हरी झंडी मिलने की बात कही जा रही है।
क्या जल्द ही होंगे NDA का हिस्सा?
राजनीतिक पंडितों का तो यहां तक कहना है कि शिवपाल सिंह यादव जल्द ही एनडीए का हिस्सा होने जा रहे हैं। वहीं दूसरी संभावना उनके भाजपा में शामिल होकर आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ने की है। यह भी कहा जा रहा है कि वह भाजपा कोटे से राज्यसभा जा सकते है।
..तो बेटे के लिए छोड़ेंगे जसवंतनगर सीट
उधर, शिवपाल समर्थकों का कहना है कि जसवंतनगर सीट से शिवपाल सिंह यादव के पुत्र आदित्य यादव को चुनाव लड़ना चाहिए। वैसे भी शिवपाल सिंह यादव विधानसभा चुनाव में बेटे के लिए टिकट चाहते थे, लेकिन अखिलेश यादव ने मना कर दिया था। इसके बाद से शिवपाल सिंह यादव अपने बेटे के भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। इस राजनीतिक दांव से उनकी यह चिंता दूर हो सकती है। उधर भाजपा हर हाल में लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करना चाहेगी, जिससे 2024 से पहले एक और सकारात्मक संदेश दे सके। अखिलेश यादव की ओर से आजमगढ़ की सीट खाली किए जाने के बाद इस पर छह महीने के भीतर उपचुनाव होना है।कहा जा रहा है कि भाजपा कांटे से कांटा निकालने की तैयारी में है।