×

Shravasti News: थाईलैंड का 60 सदस्यीय उपासकों का दल बौद्ध तपोस्थली पहुंचा, गंध कुटि पर की विशेष प्रार्थना

Shravasti News: बौद्ध भिक्षु देवानंद ने कहा कि एक बार भगवान बुद्ध भिक्षा के लिए एक किसान के यहां पहुंचे। तथागत को भिक्षा के लिए आया देखकर किसान उपेक्षा से बोला, श्रमण मैं हल जोतता हूं और तब खाता हूं।

Radheshyam Mishra
Published on: 22 Feb 2025 6:44 PM IST
delegation of 60 devotees from Thailand reaches Buddhist Taposthali
X

थाईलैंड का 60 सदस्यीय उपासकों का दल बौद्ध तपोस्थली पहुंचा (Photo- Social Media)

Shravasti News: बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती शनिवार को थाईलैंड के अनुयायियों से गुलजार रही। अनुयायियों ने गंध कुटि पर बौद्ध भिक्षु देवानंद के नेतृत्व में विशेष प्रार्थना की। इस दौरान बौद्ध सभा का आयोजन किया गया।

शनिवार को कटरा श्रावस्ती बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती में थाईलैंड के 60 सदस्य दल जेतवन पहुंचा और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार कर अभिभूत हो उठे। साथ ही थाई मंदिर के साथ ही तपोस्थली की पहचान बन चुके विभिन्न स्थलों का अवलोकन किया और मंदिर में दर्शन-पूजन कर अपनी भावनाएं व्यक्त की। साथ ही अपने धार्मिक रीति रिवाज में बौद्ध भिक्षु देवानंद की अध्यक्षता में पूजा अर्चना किया।


इस दौरान बौद्ध भिक्षु देवानंद ने कहा कि एक बार भगवान बुद्ध भिक्षा के लिए एक किसान के यहां पहुंचे। तथागत को भिक्षा के लिए आया देखकर किसान उपेक्षा से बोला, श्रमण मैं हल जोतता हूं और तब खाता हूं। तुम्हें भी हल जोतना और बीज बोना चाहिए और तब खाना खाना चाहिए।

बुद्ध ने कहा- महाराज! मैं भी खेती ही करता हूं...।इस पर किसान को जिज्ञासा बढ़ी और वह बोला- मैं न तो तुम्हारे पास हल देखता हूं ना बैल और ना ही खेती का स्थल। तब आप कैसे कहते हैं कि आप भी खेती ही करते हो।

आप कृपया अपनी खेती के संबंध में समझाइएं। बुद्ध ने कहा- महाराज! मेरे पास श्रद्धा का बीज, तपस्या रूपी वर्षा और प्रजा रूपी जोत और हल है... पापभीरूता का दंड है, विचार रूपी रस्सी है, स्मृति और जागरूकता रूपी हल की फाल और पेनी है।मैं वचन और कर्म में संयत रहता हूं। मैं अपनी इस खेती को बेकार घास से मुक्त रखता हूं और आनंद की फसल काट लेने तक प्रयत्नशील रहने वाला हूं। अप्रमाद मेरा बैल हे जो बाधाएं देखकर भी पीछे मुंह नहीं मोडता है। वह मुझे सीधा शांति धाम तक ले जाता है।

इस प्रकार मैं अमृत की खेती करता हूं। साथ ही कहा कि तीर्थ क्षेत्र श्रावस्ती की रमणीयता से हम सब प्रवाहित है।कहा कि श्रावस्ती तथागत बुद्ध की प्रियस्थली रही है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में सबसे ज्यादा वर्षावास इसी भूमि पर व्यतीत किए हैं, इसलिए तीर्थ क्षेत्र श्रावस्ती का कण-कण पवित्र है। श्रावस्ती में पहुंच कर असीम शांति का एहसास हो रहा है।

इस दौरान दौरान अनुयायियों ने तपोस्थली का भ्रमण कर उसकी ऐतिहासिक जानकारी भी प्राप्त की ।



Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story