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Shravasti News: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल की जेल और 12 हजार का जुर्माना लगाया गया
Shravasti News: न्यायालय अपर जिला व सत्र न्यायाधीश न्यायाधीश निर्दोश कुमार ने गुरुवार को दुष्कर्म का आरोप सिद्ध होने पर अभियुक्त को 10 वर्ष कारावास व 12 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनायी है
Shravasti News : न्यायालय अपर जिला व सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम सहित बलात्कार) न्यायाधीश निर्दोश कुमार ने वृहस्पतिवार को दुष्कर्म का आरोप सिद्ध होने पर अभियुक्त को 10 वर्ष कारावास व 12 ह़जार रुपए जुर्माना की सजा सुनायी है। अभियोजन पक्ष की पैरवी करते हुए शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) रोहित गुप्ता ने बताया कि पीड़िता ने अपने पिता राजकुमार चौहान संग विगत 19 नवम्बर 2016 को इकौना थाना में प्रार्थनापत्र दिया था कि प्रतिवादी बच्छराज उर्फ बछऊ पुत्र राम अवतार निवासी चकवा दाखिली अरकापुर थाना पयागपुर ,जिला बहराईच वादी के
नाबालिग को बहला फुसला कर भगा ले गया आरोपी
रामकुमार चौहान की नाबालिग बेटी उम्र 15 वर्ष को जब वह घर पर नहीं था घर से बुरी नियत से बहला फुसला कर भगा ले गया। घर पर पहुंचने पर जब वह अपनी बेटी को घर नहीं पाए तो उसने आसपास और रिश्तेदारों में काफी खोजबीन की परन्तु उसका कही पता नही चल सका ।तब वादी मुकदमा ने एक लिखित तहरीर थाना इकौना पर दिया । जिसके बाद थाना इकौना में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 4 पास्को एक्ट,धारा 363, 366 के तहत मामला पंजीकृत किया गया। विवेचना अधिकारी ने आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया। बताया कि न्यायाधीश निर्दोष कुमार ने आरोपी को धारा 4 पॉक्सो एक्ट में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 10,000 रूपये के अर्थ दंड से दंडित किया ।तथा धारा 363 मे 3 वर्ष 1,000 रुपये का अर्थदंड व धारा 366 में 3 वर्ष1,000 रुपए के अर्थ दण्ड से दण्डित किया है।
12 हजार रुपए के अर्थदण्ड
शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि प्रतिवादी पक्ष ने अदालत के सामने पक्ष रखते हुए कहा कि आरोपी ने विधि विधान से शादी की थी और इसी को आधार मानते हुए माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ बेंच ने आरोपी को जमानत दी थी। जिले जिला अपर व सत्र न्यायाधीश पास्को ने खारिज कर दिया और नाबालिग से शादी के प्रमाण और तर्क को विधि संगत नहीं माना और आरोपी को दुष्कर्म का दोषी मानते हुए सश्रम कारावास व 12 ह़जार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया। अर्थदण्ड न देने पर दोषी को अतिरिक्त कारावास की स़जा भुगतनी होगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी। अर्थदण्ड की कुल धनराशि में से आधी धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में प्रतिकर के रूप में पीड़िता को नियमानुसार प्रदान की जाएगी। जो जेल अवधि को स़जा में समायोजित किया जाएगा।