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Shravasti News: पौराणिक सीता माता मंदिर में कंबल वितरण और विशाल भंडारे का आयोजन, भक्तों ने कई व्यंजनों का किया प्रसाद ग्रहण

Shravasti News: सीता द्वार मंदिर के महंत पंडित संतोष दास तिवारी ने बताया कि आज पौष माह तेरस के दिन वह हर साल मंदिर व्यावास्थापक की तरफ से यहां के साधु संतों को ठंड से बचने के लिए कंबल वितरण करते हैं और पुड़ी, सब्जी, खीर, हलुआ व अन्य मिष्ठान का भोजन खिलाते हैं।

Radheshyam Mishra
Published on: 28 Dec 2024 6:55 PM IST
Distribution of blankets to Saints
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Distribution of blankets to Saints- (Photo- Newstrack)

Shravasti News: उत्तर प्रदेश के जनपद श्रावस्ती के इकौना विकास खंड अन्तर्गत टंडवा महंत के पौराणिक सीताद्वार माता मंदिर परिसर में विशाल कंबल वितरण और भंडारे का आयोजन हुआ। भंडारे में सैकड़ों साधु संतों और श्रद्धालुओं को प्रसाद ग्रहण किया हैं। इस दौरान प्रसाद ग्रहण के लिए भक्तों की भीड़ जुटी रही। इसमें महिला साधु संत की भी भारी संख्या रही। भंडारा शाम तक चला। इस दौरान भक्तों ने जगत जननी माता सीता और रामायण राचयिता श्रृषि बाल्मिकी की पूजा-अर्चना की और जयकारे लगाए।

साधु संतों को ठंड से बचने के लिए बांटे गए कंबल

इस दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था। सीता द्वार मंदिर के महंत पंडित संतोष दास तिवारी ने बताया कि आज पौष माह तेरस के दिन वह हर साल मंदिर व्यावास्थापक की तरफ से यहां के साधु संतों को ठंड से बचने के लिए कंबल वितरण करते हैं और पुड़ी, सब्जी, खीर, हलुआ व अन्य मिष्ठान का भोजन खिलाते हैं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वह लोग अपनी तरफ से करते हैं। इसमें न किसी सामाजिक संस्था और न किसी प्रशासनिक व्यवस्था का सहयोग नहीं होता है, बल्कि अपने परिवार और हित मित्रों के सहयोग से यह कार्यक्रम वह करते हैं।


महंत पंडित संतोष दास तिवारी ने बताया कि भंडारे की शुरुआत जगत जननी माता सीता, हनुमान जी महाराज, लव और कुश तथा रामायण राचयिता श्रृषि बाल्मिकी को 56 भोग के साथ भोग लगाकर किया गया।

उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस राचयियता पंडित गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि-

"बड़े भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा।।

साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाइ न जेहिं परलोक संवारा।।"

कहा कि संवाद का ऐसा सांगोपांग निर्वहन संसार के किसी स्मृति साहित्य में नहीं मिलेगा, जो श्रीरामचरितमानस में है। पूरा मानस भक्त काकभुशुंडि और ज्ञानी पक्षीराज गरुड़ के बीच का संवाद है। भक्त काकभुशुंडि वक्ता हैं और ज्ञानी गरुड़ श्रोता हैं। भक्त प्रतिपादन कर रहा है और ज्ञानी जिज्ञासा कर रहा है। भक्त के प्रतिपादन में भावना का वह समुद्र लहराता है, जिसमें तनिक भी खारापन नहीं होता है और ज्ञानी की जिज्ञासा में कुतर्क का अभाव होता है। भक्त और ज्ञानी दोनों का परम उद्देश्य रामराज्य है, जो आचरण के उपादान के बगैर संभव नहीं है। इसलिए सबसे बड़ा तीर्थ जरूरत मंदों की जरूरत पूरी करना ही है। उन्होंने बताया है कि आज उन्होंने दो सौ कंबल और भोजन का प्रसाद जरूरत मंदों को वितरित किए हैं।


मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं

मां सीता सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है कि मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। शास्त्रों के अनुसार, विष्णु भगवान ने भी माता सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर इनसे सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। इन्हीं देवी की कृपा से ही आज सृष्टि चलायमान है।इस अवसर पर श्रृषि बाल्मिकी मंदिर के महंत पंडित राम मनोहर तिवारी, अधिवक्ता राधेश्याम मिश्र और अन्य पुजारी तथा ग्रामीण उपस्थित रहे हैं।



Shashi kant gautam

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