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Shravasti News: श्रावस्ती में प्रमुख घाटों पर बिखरी छठ की छटा, व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
Shravasti News: जनपद के प्रमुख घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा था। गुरुवार दोपहर तीन बजे से ही व्रत रखने वाले श्रद्धालु परिवार संग जनपद के घाटों की ओर रुख करने लगे थे।
Shravasti News: नगर सहित ग्रामीण इलाकों में समृद्धि, पुत्र प्राप्ति व मंगलकामना के साथ गुरुवार की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा। जिले में विभिन्न स्थानों पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए।
शाम होने से पहले ही व्रती तालाबों, सरोवर व नदियों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचने लगे। बड़ी संख्या में छठ व्रती अपने पूरे परिवार एवं गाजे-बाजे के साथ छठ घाट पर पहुंचे। शाम को पूरे विधि-विधान से छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य एवं छठ माता की आराधना की।
स्थानीय जनप्रतिनिधि व अन्य लोग भी व्रतियों को पर्व की शुभकामनाएं देने छठ घाटों पर पहुंचे। सबसे ज्यादा भीड़ इकौना थाना क्षेत्र अंतर्गत सीताद्वार झील, राप्ती नदी के गंगा घाट समेत अन्य घाटों पर रही।इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पुलिस के जवान पूरी तरह मुस्तैद रहे।
डूबते सूर्य को अर्घ्य
सूर्य के डूबने के पहले छठी व्रती सिर पर फल-फूल व पूजा सामग्री से भरी डलिया, हाथों में अखंड ज्योति और जुबां पर छठ मैया के गीत तथा चेहरे पर श्रद्धा के भाव लिए हजारों लोगों ने उत्साह व उल्लास के साथ छठ पर्व के तीसरे दिन गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
जनपद के प्रमुख घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा था। गुरुवार दोपहर तीन बजे से ही व्रत रखने वाले श्रद्धालु परिवार संग जनपद के घाटों की ओर रुख करने लगे थे। घाटों की ओर जाने वाले मार्गों पर सिर पर डलिया लिए श्रद्धालु दिख रहे थे। शाम करीब 5:20 बजे व्रत रखने वालों ने जल में उतरकर डूबते सूरज को अर्घ्य देकर संतान की दीर्घायु व अखंड सौभाग्य की कामना की।
डूबते सूर्य को फल, पुष्प, नैवेद्य, धूप व दीप का अर्घ्य अर्पित कर बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। सुहागिनें शुक्रवार भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य देंगी। घाट पर ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करेंगी। भोर में ही महिलाएं घाटों पर पहुंचेंगी और जल में खड़े होकर पूजन-अर्चन करेंगी।
नवविवाहिताओं ने पहली बार व्रत रखकर डूबते सूर्य को गाय के दूध व गंगाजल से अर्घ्य देते हुए छठ मैया की पूजा की। सुहागिनों ने एक-दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया। बांस के सूप व टोकरी को फलों व ठेकुआ आदि से सजाया गया था।
गीत गाकर छठ मैया को खुश करने की कोशिश
घाटों पर आतिशबाजी भी की गई। किसी ने मंत्रों का जाप कर तो किसी ने गीत गाकर छठ मैया को खुश करने की कोशिश की। घाटों पर अरघ लेई सूरजदेव खुश होइहैं छठ मइया.., कहवां भईल एतनी देर हो माई.., छठ मइया के आके सजा देबू का हो.., उतरले सूरज देव भईले अरघिया के जून..., पूजेली चरण तोहार हे छठी मइया, गांवे-गांवे गितिया गवाई लागल, कोसिया भराई लागल, मथवा प दउरा सजाय लागल, छठी घाट लोग जाय लागल जैसे गीत गूंजते रहे।
मन्नत मांगने वाले कई श्रद्धालु दंडवत प्रणाम करते हुए घाटों तक पहुंचे। हर-हर गंगे, जय छठी माई और हर-हर महादेव के जयकारों से छठ घाट गूंज उठे। बता दें कि जिला प्रशासन की तरफ से छठ पूजा पर्व के दृष्टिगत प्रमुख रूप से पांच स्थानों पर घाट व जलाशय चयनित किये गये है, जहां पर विधिवत छठ पूजा व अर्चना की गई है। जिसमें कोतवाली भिनगा अन्तर्गत सर्वामाई मंदिर पोखरा, विकास खण्ड सिरसिया के अन्तर्गत रामपुर बन्धा पोखरा व सोनपुर पोखरा, विकास खण्ड गिलौला में कुरबेनी सदाशिव मंदिर के सामने एवं विकास खण्ड इकौना में सीताद्वार प्रमुख रहे हैं। इन घाटों पर भारी संख्या में छठी व्रतियों का जमावड़ा लगा रहा है।