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Shravasti News: हत्या और शव छिपाने के दोषी दो भाइयों को उम्रकैद, 90 हजार का लगा जुर्माना

Shravasti News: यह घटना 8 सितंबर 2014 को हुई थी, जब वादी शिवकला पत्नी फौजदार निवासी चंद्रखा बुजुर्ग ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके बेटे गंगाराम और रक्षाराम घर के बाहर सो रहे थे, तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने उन्हें बुरी तरह पीटा और रक्षाराम को कुएं में फेंक दिया।

Radheshyam Mishra
Published on: 31 Jan 2025 10:46 PM IST (Updated on: 31 Jan 2025 10:49 PM IST)
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हत्या और शव छिपाने के दोषी दो भाइयों को उम्रकैद (Photo- Social Media)

Shravasti News: शुक्रवार को श्रावस्ती की जिला एवं सत्र न्यायाधीश राममिलन सिंह ने दो भाइयों को अपने सगे भाई की हत्या करने और शव छिपाने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही दोनों दोषियों पर ₹90,000 का जुर्माना भी लगाया गया। यदि जुर्माना राशि नहीं जमा की जाती है, तो दोषियों को अतिरिक्त दो महीने की सजा काटनी होगी।

शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) पी. सिंह ने बताया कि न्यायाधीश राममिलन सिंह ने शुक्रवार को सोनवा थाना क्षेत्र के 'सरकार बनाम मनोहरलाल उर्फ इंस्पेक्टर और राम अनुज' के मामले की सुनवाई की। यह मामला सत्र परीक्षण संख्या 135/2014 और अपराध संख्या 1556/2014 से संबंधित था, जिसमें आरोपितों को धारा 302/34, 307/34 और 201 आईपीसी के तहत सजा सुनाई गई। दोनों दोषियों को उम्रकैद की सजा और ₹20,000 जुर्माने के साथ-साथ धारा 201 आईपीसी में 5 वर्ष की सजा और ₹5,000 जुर्माना भी लगाया गया।

2014 की है घटना

यह घटना 8 सितंबर 2014 को हुई थी, जब वादी शिवकला पत्नी फौजदार निवासी चंद्रखा बुजुर्ग ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके बेटे गंगाराम और रक्षाराम घर के बाहर सो रहे थे, तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने उन्हें बुरी तरह पीटा और रक्षाराम को कुएं में फेंक दिया। इसके बाद गंगाराम की गंभीर हालत को देखते हुए उसे बहराइच अस्पताल और फिर लखनऊ रेफर किया गया, जहां उसकी भी मृत्यु हो गई।

मुकदमा सोनवा थाने में धारा 302, 307 और 201 आईपीसी के तहत अज्ञात के खिलाफ दर्ज हुआ था। बाद में जांच के दौरान अभियुक्तों के नाम सामने आए और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सत्र न्यायालय में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्रभर की सजा और जुर्माना निर्धारित किया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि जुर्माना राशि जमा नहीं की जाती तो दोषियों को दो महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। हालांकि, धारा 307/34 आईपीसी के आरोप से दोनों आरोपितों को बरी कर दिया गया।



Shashi kant gautam

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