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Shravasti News: पुलिस लाइन सभागार में विपश्यना ध्यान शिविर का हुआ आयोजन, DM रहे मुख्य अतिथि, किया ध्यान

Shravasti News: भगवान बुद्ध द्वारा खोजी गई विपश्यना साधना तनाव से छुटकारा पाने का प्रभावशाली साधन है। इसके सात मुख्य विशेषताएं हैं। अनैतिक कर्म, शांत सरोवर में फेंके गए पत्थर के समान, मन में विक्षोभ पैदा करता है।

Radheshyam Mishra
Published on: 7 Sept 2024 8:51 PM IST
District Magistrate Ajay Kumar Dwivedi meditated as the chief guest in the Vipassana meditation camp in the Police Line Auditorium
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 पुलिस लाइन सभागार के विपश्यना ध्यान शिविर में जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने मुख्य अतिथि के रूप में किया ध्यान: Photo- Newstrack

Shravasti News: शनिवार को भिनगा स्थित पुलिस लाइन सभागार में विपश्यना ध्यान शिविर का आयोजन पुलिस अधीक्षक घनश्याम चौरसिया के अध्यक्षता में किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी एवं विशिष्ट अतिथि बाबा हरदेव सिंह पूर्व प्रशासनिक ऑफिसर उत्तर प्रदेश रहे। इस दौरान आचार्य गोपाल शरण सिंह विपश्यना ध्यान केंद्र श्रावस्ती ने लोगों को ध्यान की विधि बताई और ध्यान कराया।

तनाव से छुटकारा पाने के लिए ध्यान जरुरी

उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन काफी तनावपूर्ण हो चुका है। इस तनाव से छुटकारा पाने के लिए कुछ व्यक्ति शराब, नशीली दवाओं, तंबाकू आदि विनाशकारी चीजों का सहारा लेते हैं। आजकल अधिकतर व्यक्ति तनाव मुक्ति हेतु ध्यान की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध द्वारा खोजी गई विपश्यना साधना तनाव से छुटकारा पाने का प्रभावशाली साधन है। उन्होंने इसके सात मुख्य विशेषताएँ बताई है। अनैतिक कर्म, शांत सरोवर में फेंके गए पत्थर के समान, मन में विक्षोभ पैदा करता है।

शिविर में साधक- हत्या, चोरी, यौन गतिविधियाँ, झूठ बोलना तथा नशीली वस्तुओं के सेवन इन पाँच अनैतिक कर्मों से विरत रहते हैं। इस प्रकार शील-सदाचार विपश्यना का आधार है। इसलिए शांत, गंभीर वातावरण के कारण, पूर्ण एकाग्रता से अभ्यास करते हुए साधक, मन को उत्तरोत्तर दीक्षा एवं संवेदनशील बना पाते हैं।

सजगता के साथ मन केंद्रित करना होता है

उन्होंने कहा कि साधक को आते-जाते श्वास पर लगातार सजगता के साथ मन केंद्रित करना होता है। यद्यपि इसमें बाधाएँ तो आती हैं, किंतु मुस्कराते हुए व बिना धीरज खोए इस स्थिति का इलाज हो जाता है। इसके लिए लगन का होना बहुत आवश्यक है।

उन्होने कहा कि सांस एवं संवेदनाएं दो तरह से मदद करेगी। वे प्राइवेट सेक्रेटरी का काम करेंगी। जैसे ही मन में कोई विकार जागा, सांस अपनी स्वाभाविकता खो देगा, वह हमे बतायेगा और हम सांस को डांट भी नहीं सकते। हमें उसकी चेतावनी को मानना होगा। ऐसे ही संवेदनाएं हमें बतायेगी कि कुछ गलत हो रहा है। चेतावनी मिलने के बाद हम सांस एवं संवेदनाओं को देख सकते है। ऐसा करने पर शीघ्र ही हम देखेंगे कि विकार दूर होने लगा। यह शरीर और मन का परस्पर संबंध एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक तरफ मन में जागने वाले विचार एवं विकार हैं और दूसरी तरफ सांस एवं शरीर पर होने वाली संवेदनाएं हैं। मन में कोई भी विचार या विकार जागता है तो तत्क्षण सांस एवं संवेदनाओं को प्रभावित करता ही है।

इस प्रकार, सांस एवं संवेदनाओं को देख कर हम विकारों को देख रहे हैं। पलायन नहीं कर रहे, विकारों के आमुख होकर सच्चाई का सामना कर रहे हैं। शीघ्र ही हम देखेंगे कि ऐसा करने पर विकारों की ताकत कम होने लगी, पहले जैसे वे हमपर अभिभूत नहीं होते। हम अभ्यास करते रहें तो उनका सर्वथा निर्मूलन हो जाएगा। विकारों से मुक्त होते होते हम सुख एवं शांति का जीवन जीने लग जाएंगे।

आत्मनिरिक्षण करेंगे तो मिलेगा अद्भुत ज्ञान

वहीं बाबा हरदेव सिंह पूर्व प्रशासनिक अवसर उत्तर प्रदेश ने कहा इस प्रकार आत्मनिरिक्षण की यह विद्या हमें भीतर और बाहर दोनो सच्चाईयों से अवगत कराती है। पहले हम केवल बहिर्मुखी रहते थे और भीतर की सच्चाई को नहीं जान पाते थे। अपने दु:ख का कारण हमेशा बाहर ढूंढते थे। बाहर की परिस्थितियों को कारण मानकर उन्हें बदलने का प्रयत्न करते थे। भीतर की सच्चाई के बारे में अज्ञान के कारण हम यह नहीं समझ पाते थे कि हमारे दु:ख का कारण भीतर है, वह है सुखद एवं दुखद संवेदनाओं के प्रति अंध प्रतिक्रिया।

इस अवसर पर कमांडेंट 62वीं वाहिनी भिनगा राजेश्वरी सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक प्रवीण कुमार यादव, आचार्य पुष्पा सिंह, मैनेजर अविनाश पटेल, बाबूराम यादव आदि साधक मौजूद रहे।



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Shashi kant gautam

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