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Shravasti News: पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनों ने की वट वृक्ष की पूजा, जानें कैसे शुरू हुई ये परंपरा

Shravasti News: श्रावस्ती में वृहस्पतिवार को पति की लंबी आयु और आरोग्यता के साथ वैभव की कामना को लेकर सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा की।

Radheshyam Mishra
Published on: 6 Jun 2024 4:22 PM IST (Updated on: 6 Jun 2024 4:24 PM IST)
Married women worshiped the Banyan tree for the long life of their husbands, know how this tradition started
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पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनियों ने की वट वृक्ष की पूजा, जानें कैसे शुरू हुई ये परंपरा: Photo- Newstrack

Shravasti News: श्रावस्ती में बट सावित्री व्रत पर सुहागिन महिलाओं ने गुरुवार को फल-पकवान से थालियां और डालिया भरकर बरगद पेड़ की पूजा की। वृहस्पतिवार की सुबह से ही वट वृक्ष की समीप सुहागिनों की पूजा-अर्चना के लिए भीड़ लगी रही। बता दें कि पति की दीर्घायु की कामना के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं। व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही बट सावित्री व्रत के एक दिन पूर्व महिलाएं नए कपड़े पहन कर सोलह सिंगार करती है। हाथ में मेहंदी रचाती हैं।

वट वृक्ष की होती है पूजा

सुबह दूसरे दिन वट वृक्ष के पास बांस के पंखे पर पकवान आदि रखकर सावित्री और सत्यवान की कथा कहती और सुनती हैं। वट वृक्ष के पेड़ में कच्चा धागा लपेटकर तीन या पांच बार परिक्रमा भी करती हैं। वट वृक्ष की पूजा के समय महिलाएं अपने-अपने बाल में बरगद के पत्ते लगातीं। नवविवाहिता अपने घर से जल भरकर कलश लेकर जाती है। परिवार एवं अन्य महिलाएं उसके साथ पारंपरिक गीत गाते वट वृक्ष के समीप पहुंच पूजा करतीं हैं।

पहली बार पूजा करने वाली महिलाओं को बांस के 14 पंखा पूजा में रखना पड़ता है। जिसमें नहिअर और ससुराल से पंखा आता है। ससुराल से दही-चूड़ा, पकवान, कपड़ा, फल, डलिया, मिठाई, श्रृंगार आदि के अलावा परिवार के कुछ सदस्यों के कपड़े आते हैं। पूजा अर्चना के बाद विवाहित महिलाएं अपने व्रत को पूरा करती हैं और अपने पतियों का आशीर्वाद लेने के बाद अपना व्रत खोलती है। इसके बाद महिलाएं जल ग्रहण करती हैं।


सती सावित्री ने अपने पति के प्राण यमराज से वापस लिये थे

विवाहिता रेखा शुक्ला, रेनू मिश्रा, रागिनी पांडेय, संगिता चौधरी आदि ने बताया कि उपरोक्त पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वट सावित्री व्रत और पूजन अवश्य ही स्मरणीय है। सावित्री ने सत्यवान को वट वृक्ष के नीचे ही नवजीवन दिया था। व्रत के प्रभाव से ही सती सावित्री ने अपने पति के प्राण यमराज से वापस लिये थे। बताया गया कि सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिये वट सावित्री व्रत की पूजा करती हैं। श्रावस्ती जनपद के भिनगा नगर क्षेत्र सहित गिलौला, सुबखा, मनिकौरा, इकौना क्षेत्र के मोहनीपुर, पंडित पुरवा, सिरसिया, जमुनहा, भंगहा, कटरा, सहित जिले भर में शहर और ग्रामीण अंचलों में उपरोक्त पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

Shashi kant gautam

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