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Shravasti News: भगवान बुद्ध की तपोस्थली में तिब्बती विजय स्तूप मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह का हुआ आयोजन

Shravasti News: उप जिलाधिकारी इकौना ओमप्रकाश ने कहा कि श्रावस्ती भगवान बुद्ध की तपोस्थली है भगवान बुद्ध ने पूरे विश्व को सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने के कहा जिससे आज पूरे इस धरती का वर्चस्व पूरे विश्व में है ।

Radheshyam Mishra
Published on: 15 March 2025 4:32 PM IST
The consecration ceremony of the Tibetan Vijay Stupa temple was organized in the shrine of Lord Buddha
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भगवान बुद्ध की तपोस्थली में तिब्बती विजय स्तूप मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह का हुआ आयोजन (Photo- Social Media)

Shravasti News: शनिवार को कटरा श्रावस्ती अन्तर्गत भगवान बुद्ध की तपोस्थली में तिब्बती विजय स्तूप मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हुआ। समारोह का उद्घाटन उपजिलाधिकारी इकौना ओमप्रकाश ने फीता काटकर तथा भगवान बुद्ध के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया । कार्यक्रम की स्थापिका कमला लामा की अध्यक्षता में कार्यक्रम की शुरूआत हुई ।

इस दौरान उप जिलाधिकारी इकौना ओमप्रकाश ने कहा कि श्रावस्ती भगवान बुद्ध की तपोस्थली है भगवान बुद्ध ने पूरे विश्व को सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने के कहा जिससे आज पूरे इस धरती का वर्चस्व पूरे विश्व में है । बताया जाता है कि भगवान बुद्ध अपने जीवन काल में अत्यधिक समय श्रावस्ती में बीताकर इस धरती को स्वच्छ एवं पवित्र बनाया।

एक सहस्राब्दी से भी अधिक पुराना है इतिहास

उन्होंने बताया कि इस स्थल का इतिहास एक सहस्राब्दी से भी अधिक पुराना है। बौद्धनाथ स्तूप के निर्माण से बहुत पहले, 600 ई. में उसी स्थान पर एक छोटा स्तूप बनाया गया था। उस समय, आधुनिक नेपाल का क्षेत्र तिब्बत साम्राज्य का हिस्सा था, जो मध्य एशिया में एक प्रमुख शक्ति थी।हालाँकि, 800 के दशक में तिब्बत की शक्ति और प्रतिष्ठा में तीव्र गिरावट आई और नेपाल अपने आप में एक राज्य के रूप में उभरा। मल्ल राजवंश ने 900 के दशक से 1700 के दशक तक इस क्षेत्र पर शासन किया। हालाँकि मल्ल हिंदू थे, लेकिन उन्होंने बौद्धों को अपने धर्म का पालन जारी रखने की अनुमति दी।


स्तूप संस्थापिका कमला लामा ने कहा कि भगवान बौद्ध धर्म में इस माह का बहुत ही महत्व है ।कहा कि इसी माह में भगवान बुद्ध की चमत्कार दिखाया था ,इसलिए प्राण प्रतिष्ठा का समय यह सुनिश्चित किया गया है । वही स्तूप का समस्त उपासकों ने परिक्रमा कर बुद्धम शरणम गच्छामि, संघम शरणमै गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि का उद्घोष किया। पूजा का समापन शे कुंजन बुद्ध वंदना करके किया।

इस कार्यक्रम इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतीथि के रूप में भन्ते अथाई पान्या व्हाट थाई वाराणसी बुद्ध विपासना, पलदेन बौद्ध, श्रद्धा लोक महा थेरो, संतोष शेरपा, भिक्षु दे इन, भिछु यू ओ वाथा, देवेंद्र महाथेरो, कंबोडिया थाईलैंड, अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, भूटान, नेपाल आदि देशों के बौद्ध अनुयाई मौजूद रहे।

Shashi kant gautam

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