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Shravasti News: श्रमिकों ने श्रमदान के साथ स्वच्छता पर दिया संदेश, बीमारियों से बचाव के बताए उपाय

Shravasti Newsशिविर में 'स्वच्छता ही सेवा है' विषय पर स्वच्छता के महत्व को बताया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के श्रमिकों ने गांवों में श्रमदान करने के साथ ही लोगों को स्वच्छता की जानकारी दी और गंदगी व जल जनित बीमारियों से बचाव के उपाय भी बताए।

Radheshyam Mishra
Published on: 2 March 2025 4:10 PM IST
Workers gave message on hygiene with charity, explained ways to prevent diseases
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श्रमिकों ने श्रमदान के साथ स्वच्छता पर दिया संदेश, बीमारियों से बचाव के बताए उपाय (Photo- Social Media)

Shravasti News: यूपी के श्रावस्ती जनपद में संचालित महामाया राजकीय महाविद्यालय, श्रावस्ती के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से रविवार को राष्ट्रीय सेवा योजना के बुद्ध इकाई नू संचालित सामान्य शिविर का आयोजन किया। शिविर में 'स्वच्छता ही सेवा है' विषय पर स्वच्छता के महत्व को बताया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के श्रमिकों ने गांवों में श्रमदान करने के साथ ही लोगों को स्वच्छता की जानकारी दी और गंदगी व जल जनित बीमारियों से बचाव के उपाय भी बताए।

स्वच्छता मिशन

श्रावस्ती के महामाया राजकीय महाविद्यालय इकौना के प्राचार्य डॉ धर्मेन्द्र गुप्त ने बताया कि भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक विशेष अभियान ‘स्वच्छता मिशन है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वच्छता के प्रति लोगों के मन में जागरूकता पैदा करना एवं भारत को स्वच्छ राष्ट्र बनाना है। उन्होंने लोगों से अपील में कहा कि "तन की स्वच्छता के साथ व्यक्ति को मन की स्वच्छता भी अपने जीवन में अपनानी चाहिए और इसकी शुरूआत स्वयं से करते हुए अपने परिवार, संस्थान एवं आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।" उन्होंने कहा कि यह हम सबका नैतिक दायित्व है।


व्यक्तिगत स्वच्छता, व्यक्तित्व और चरित्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका

साथ ही स्वच्छता मानसिक, शारीरिक, वातावरणीय परिस्थिति को सुखद बनाने का सुयोग स्थापित करती है। कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना डॉ आशुतोष मिश्र ने कहा कि अगर आप स्वच्छ है तो स्वस्थ है,कहा व्यक्ति को खुद को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह स्वच्छ और शुद्ध रखने के लिए हम जो कुछ करते हैं, वो सब व्यक्तिगत स्वच्छता के तहत आता है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व और चरित्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कहा कि व्यक्ति की शारीरिक स्वच्छता में नियमित स्नान, शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना, स्वच्छ कपड़े पहनना, हाथ-मुंह धोना, समय पर नाखून-बाल काटना और दांतों की सफाई शामिल है। जबकि मानसिक स्वच्छता में अच्छे और शुद्ध विचार मानसिक स्वच्छता के तहत आते हैं।


इसमें सकारात्मक सोच, ध्यान, मेधा विकास, चिंता और तनाव को कम करने के तरीके शामिल होते हैं। वहीं व्यक्ति के सामाजिक स्वच्छता में व्यक्ति के संबंधों में सभ्यता, सहानुभूति, ईमानदारी और सभ्य व्यवहार को बढ़ावा दिया जाता है। कहा कि हर व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वच्छता होनी चाहिए।

व्यक्तिगत स्वच्छता व्यक्ति के विकास में मदद करती है, उन्हें स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करती है और सामाजिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर उच्चतम स्तर के चरित्र और गुणों का निर्माण करती है। यह व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए हमारे जीवन में स्वच्छता का मन्त्र अपनाना चाहिए तभी समाज को सुन्दर बनाने का प्रकल्प पूरा होता हैं।सहायक कार्यक्रमाधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना दुर्गा प्रसाद सिंह ने कहा कि आज समस्त स्वच्छता के साथ जीवन में तकनीकी स्वच्छता को अपनाने की जरूरत है क्योंकि ई-कचरा हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है।


तकनीकी स्वच्छता को भी अपनाने की जरूरत

इसके बाद में स्वयंसेवकों के द्वारा श्रमदान करके स्वच्छता के संकल्प को दोहराया गया।इस अवसर पर प्राचार्य डॉ धर्मेन्द्र गुप्त ने कहा कि स्वच्छता मानसिक, शारीरिक, वातावरणीय परिस्थिति को सुखद बनाने का सुयोग स्थापित करती है। कार्यक्रमाधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना डॉ आशुतोष मिश्र ने कहा कि यदि हम जीवन में स्वच्छता का मन्त्र अपनाते हैं तो समाज को सुन्दर बनाने का प्रकल्प रचते हैं।

सहायक कार्यक्रमाधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना दुर्गा प्रसाद सिंह ने कहा कि आज समस्त स्वच्छता के साथ जीवन में तकनीकी स्वच्छता को अपनाने की जरूरत है क्योंकि ई-कचरा हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है।इस अवसर पर अनेक स्वयंसेवक व स्वयं सेविकाएं उपस्थित रहीं।

Shashi kant gautam

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