Shravasti News: कजरी तीज पर तटों पर जुटा कांवड़ियों का जत्था, जलाभिषेक के लिए रवाना हुए शिवभक्त

Shravasti News: हिन्दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्म्य बहुत ज्यादा है। हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है।

Radheshyam Mishra
Published on: 5 Sep 2024 9:50 AM GMT (Updated on: 5 Sep 2024 9:52 AM GMT)
A group of Kanwariyas gathered on the banks on Kajari Teej, Shiv devotees left for Jalabhishek
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कजरी तीज पर तटों पर जुटा कांवड़ियों का जत्था, जलाभिषेक के लिए रवाना हुए शिवभक्त: Photo- Newstrack

Shravasti News: कजरी तीज (हरितालिका) को लेकर इस बार शिवभक्तों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। इस पर्व को लेकर राप्ती नदी के तटों पर जगह-जगह पर शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। करीब 30 किलोमीटर की दूरी नंगे पैर तय कर शिवभक्त विभूति नाथ में जलाभिषेक करेंगे। श्रावस्ती प्रशासन द्वारा जगह-जगह पर जलाभिषेक को लेकर व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं। जगह-जगह जलाभिषेक को लेकर कांवड़ियों ने स्नान ध्यान करके 18 घंटे पूर्व जल भरकर बाबा विभूति नाथ, गोंडा के दु:आ हरण मंदिर, पृथ्वी नाथ मंदिर में 60 किलोमीटर से 80 किलोमीटर तक पैदल चलकर जलाभिषेक करेंगे। इसके लिए राप्ती बैराज स्थिति जगपति माता शिव मंदिर, झुनझुनिया घाट, गंगा घाट, सीताद्वार सहित विभिन्न घाटों पर कांवड़िये वृहस्पतिवार से ही स्थान, ध्यान करके जल भरे और हर हर महादेव के ध्वनि के साथ झुंड के झुंड में जलाभिषेक के लिए प्रस्थान किए। गिलौला, इकौना, जमुनहा, राप्ती बैराज सहित जगह जगह विभिन्न सामाजिक संगठनों ने की व्यवस्थाएं की जा रही है। इसमें शिव भक्तों को नि: शुल्क में भोजन, चाय, नाश्ता, दवा और पैर धुलने की व्यवस्था है।

कांवड़ियों का हुजूम सुबह से ही लक्ष्मण बैराज घाट, राप्ती घाट व सीता द्वार झील स्थित विभिन्न जगहों व परिसर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ने लगा था। श्रद्धालुओं ने जगमति माता सहित बहुत मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना करके बोल बम के जयकारे लगाते हुए विभिन्न मंदिर के लिए निकला। जहां सुबह पहूंचकर जलाभिषेक करेंगे।


सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का विशेष महत्व

कजरी तीज (हरतालिका तीज) की महिमा को अपरंपार माना गया है। हिन्दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्म्य बहुत ज्यादा है। हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है। जगपति माता मंदिर की महंत कुंवारी रीता गिरि ने बताया कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया 6 सितंबर को हरतालिका तीज मनाई जाती है। भारत में हरियाली तीज और कजरी तीज के बाद अब हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा। यह व्रत भी अन्य दोनों व्रत के समान ही महत्व रखता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है। इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं।

दरअसल, भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था।हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।


महंत रीता गिरि ने बताया व्रत करने की विधि

जगपति माता मंदिर की महंत रीता गिरि बताती है कि कजरी तीज व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं और निर्जला व्रत करने का संकल्प करें। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। अब इस चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।इस दिन शिव-पार्वती की मूर्ति मिट्टी से बनाने का भी विधान है। इसके बाद गौरी-शंकर की विधि-विधि पूर्वक पूजा करें।

माता गौरी को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें। साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, गंगा जल आदि अर्पित करें। इसके बाद कजरी तीज की कथा का पाठ करें। रात में चंद्र देव की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें और इसके बाद अपना व्रत खोलें। कजरी तीज के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को सफेद और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

महिलाओं को हाथों में मेहंदी जरूर लगानी चाहिए

इस दिन मुख्य रूप से हरे, पीले और लाल रंग के कपड़े पहनने शुभ माने जाते हैं। वहीं व्रत के दिन महिलाओं को हाथों में मेहंदी जरूर लगानी चाहिए। साथ ही हाथ में चूड़ियां भी जरूर पहननी चाहिए, क्योंकि इस दिन खाली हाथ रखना अशुभ माना जाता है। कजरी तीज व्रत के दिन महिलाओं को अपने पति से लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी का अपमान न करें और न ही किसी से अपशब्द कहें। इस दिन गुस्सा आदि करने से भी बचना चाहिए, वरना इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

उल्लेखनीय है कि हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर, 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है. तिथि का समापन 6 सितंबर, 2024 को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, शुक्रवार 6 सितंबर के दिन हरतालिका तीज का व्रत किया जाएगा।

Shashi kant gautam

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