लखनऊ से तो चली गईं SSP मंजिल सैनी, मगर बहुत रुलाएंगे उन्हें श्रवण साहू के आंसू

एसएसपी लखनऊ की कुर्सी जाती देख मंजिल सैनी को बहुत याद आए श्रवण साहू। वही श्रवण साहू जिसकी एसएसपी की लापरवाही के चलते जान चली गई थी।

tiwarishalini
Published on: 27 April 2017 4:15 PM GMT
लखनऊ से तो चली गईं SSP मंजिल सैनी, मगर बहुत रुलाएंगे उन्हें श्रवण साहू के आंसू
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लखनऊ से तो चली गईं SSP मंजिल सैनी, मगर बहुत रुलाएंगे उन्हें श्रवण साहू के आंसू

लखनऊ: एसएसपी लखनऊ की कुर्सी जाती देख मंजिल सैनी को बहुत याद आए श्रवण साहू। वही श्रवण साहू जिसकी एसएसपी की लापरवाही के चलते जान चली गई थी, लेकिन श्रवण साहू की जान जाने पर मजिल सैनी को उतनी तकलीफ नहीं हुई होगी जितनी उन्हें एसएसपी की कुर्सी जाने से हुई। श्रवण साहू जिस तरह अपनी जान बचाने के लिए एसएसपी के सामने गिड़गिड़ा रहे थे, उसकी याद एसएसपी लखनऊ रहीं मंजिल सैनी को शायद बहुत आई होगी। श्रवण साहू का चेहरा भी मंजिल सैनी की आंखों के सामने घूम गया होगा।

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मृतक श्रवण साहू व शोकाकुल उनकी पत्नी निर्मला

बेबस बाप की लाचारी बेटे को नहीं दिला सका इंसाफ

वक्त की ताकत का अंदाजा सब को होता है। अखिलेश यादव राज में मंजिल सैनी का शुमार सत्ता के करीबी अफसरों पर होता था। वह सही को सही के साथ ही गलत को भी सही करने का माद्दा रखती थीं। आलम यह था कि एक बेबस बाप उनके सामने गिड़गिड़ाता रहा, इंसाफ की भीख मांगता रहा पर उनके नेतृत्व में लखनऊ पुलिस हाथ पर हाथ रख कान में तेल डाल कर सोती रही।

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नतीजा यह रहा कि बेखौफ बदमाशों ने सरेशाम सआदतगंज में श्रवण साहू को बीच चौराहे पर गोलियों से भून दिया। घटना के बाद एसएसपी रहीं मंजिल सैनी ने इंस्पेक्टर सआदतगंज और आरआई लाइन को निलंबित कर दिया।

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जानकार कहते हैं कि ऐसा इसलिए किया गया जिससे एसएसपी की कुर्सी बच जाए। एसएसपी ने श्रवण साहू के परिजनों के साथ आंसू बहाती तस्वीर खूब वायरल कराई। जनता ने इसे नौटंकी तक क़रार दिया।

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सत्ता बदलते ही कुर्सी बचाने की कवायद में जुटीं

सत्ता बदलने के बाद इस घटना के दाग धोने के लिए मंजिल सैनी ने सियासी गलियारों में नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे सब एक कर दिया। शासन के सूत्र बताते हैं कि उन की कोशिश थी, कि लखनऊ हाथ से जाए तो गाजियाबाद या नोएडा जैसा मलाईदार जिला हाथ लग जाए, लेकिन मंशा पूरी नहीं हो सकी। उन्हें नोएडा पीएसी में पोस्टिंग मिली है। राजनीति की राजधानी की चकाचौंध और सत्ता की हनक से दूर शायद अब उन्हें श्रवण साहू का चेहरा याद खूब आए।

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