×

Kanpur: सनातन संस्कृति के संरक्षक श्रीगुरु तेग बहादुर जी, देह रहे या नष्ट हो जाये, गुरु की वाणी अमर और अविनाशी होती है

Kanpur News: श्री गुरु तेगबहादुर जी सनातन संस्कृति के संरक्षक और संवाहक हैं। उनके बलिदान की गाथा को भारत के प्रत्येक शिशु को जानने का प्रबंध होना चाहिए।

Sanjay Tiwari
Published on: 30 Nov 2022 6:06 PM IST
Ek Sangat, Ek Pangat program organized in Rashtriya Swayamsevak Sanghs campus located in Kanpur
X

कानपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कानपुर में स्थित परिसर में आयोजित एक संगत, एक पंगत कार्यक्रम

Kanpur News: श्री गुरु तेगबहादुर जी (Shri Guru Tegh Bahadur) सनातन संस्कृति के संरक्षक और संवाहक हैं। उनके बलिदान की गाथा को भारत के प्रत्येक शिशु को जानने का प्रबंध होना चाहिए। भारत वस्तुतः ऐसे अनेक बलिदानी महापुरुषों की भूमि है । इसीलिए यह धरती का एक टुकड़ा अथवा भूगोल में स्थित कोई सामान्य देश भर नहीं है बल्कि मानवता का स्थापित मंदिर है। हमारे ऐसे पूर्वज इस मानव मंदिर की पवित्र प्रतिमाएं हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के कानपुर में स्थित परिसर में आयोजित एक संगत, एक पंगत कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह विचार व्यक्त किया। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत को समर्पित एक संगत एक पंगत का यह पवित्र आयोजन संघ मुख्यालय कानपुर में सम्पन्न हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कानपुर प्रान्त के परिसर में सिख समाज द्वारा आयोजित इस पवित्र संगत और पंगत में अनेक गण्यमान्य महानुभावों की बड़ी संख्या में सहभागिता रही।


गुरु की वाणी और उसके विचार अमर और अविनाशी होते हैं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कानपुर प्रान्त के प्रचारक राष्ट्र सेवी आदरणीय श्रीराम जी भाई साहब और अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख आदरणीय अनिल ओक जी के अलावा सिख समाज के अत्यंत सम्मानित और माननीय लोगों का सानिध्य प्राप्त हुआ। वक्ताओं ने कहा कि गुरु वह तत्व है जिसकी देह रहे या न रहे उसकी वाणी और उसके विचार अमर और अविनाशी होते हैं।

इस अवसर पर बच्चों द्वारा श्रीगुरु वाणी की प्रस्तुति और सबद ने अंतर्मन को अत्यधिक प्रभावित किया। सनातन संस्कृति की रक्षा, सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन में सिख गुरुओं के त्याग, बलिदान और समर्पण की गाथाओं के अंश भी सुनने और चिंतन करने को मिले। उपस्थित जनसमूह के लिए यह निश्चय ही एक अत्यंत उर्जादायी , मनोहारी और प्रेरणास्पद अनुभव रहा।


गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान की पूरी कथा की गई प्रस्तुत

इस आयोजन में चौधरी मोहित सिंह यादव, कृष्ण देव दुबे, सिख समाज के अनेक गुरु, ग्रंथी, व्यवसायी, शिक्षक, अधिवक्ता, छात्र और अभिभावक उपस्थित थे। इस आयोजन में अनेक महानुभावों को सम्मानित किया गया। संघ के अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक जी ने भारत के ओजस्वी इतिहास पर एक लंबी कविता का पाठ किया। उन्होंने पूर्व पीठिका में गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान की पूरी कथा को प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों के मन मे गर्व का भाव संचारित किया।



Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story