श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बड़ी खबर, कोर्ट में होगी 18 नवंबर को अगली सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि जिला जज ने हमारी याचिका स्वीकार कर ली है। विपक्षी पक्षकारों यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट्र, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को नोटिस जारी हो गई है।

Newstrack
Published on: 16 Oct 2020 11:45 AM GMT
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बड़ी खबर, कोर्ट में होगी 18 नवंबर को अगली सुनवाई
X
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बड़ी खबर, कोर्ट में होगी 18 नवंबर को अगली सुनवाई (Photo by social media)

लखनऊ: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामलें में सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब श्रीकृष्ण विराजमान आज जिला जज की अदालत में 12 अक्टूबर को श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से जिला अदालत में दायर किए गए केस को स्वीकार कर लिया है और आगामी 18 नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख दी है। इस याचिका में 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए मालिकाना हक मांगा गया है और अतिक्रमण कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाने का आरोप लगाया गया है। न्यायालय ने इस मामलें में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत 04 पक्षकारों को नोटिस जारी किए हैं।

ये भी पढ़ें:लखनऊ: समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल कल करेगा बलिया का दौरा

वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि जिला जज ने हमारी याचिका स्वीकार कर ली है

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि जिला जज ने हमारी याचिका स्वीकार कर ली है। विपक्षी पक्षकारों यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट्र, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को नोटिस जारी हो गई है।

बता दे कि बीती 25 सितंबर को श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य ने स्थानीय कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग करते हुए शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध बताते हुए उसे हटाने की मांग की थी। 28 सितंबर को जज छाया शर्मा ने इस मामलें में 30 सितंबर को सुनवाई की तारीख दे दी थी। इसके बाद 30 सितंबर को सुनवाई के बाद सिविल कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी।

krishna-tempel-mathura krishna-tempel-mathura (Photo by social media)

ये है श्री कृष्ण जन्मभूमि का इतिहास

बताया जाता है कि यहां चार बार मंदिर का निर्माण हुआ और उसे तोड़ा गया। मान्यता है कि सबसे पहले भगवान कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने यहां अपने कुलदेवता का मंदिर बनवाया था। जबकि इतिहासकारों का मानना है कि सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में 400 इसवी में यहां एक भव्य मंदिर बनवाया गया था। इस भव्य मंदिर को वर्ष 1017 में महमूद गजनवी ने आक्रमण कर तोड़ दिया था। इसके बाद वर्ष 1150 में राजा विजयपाल देव के शासनकाल में यहां फिर से विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया लेकिन 16वीं शताब्दी में सिकंदर लोदी के शासनकाल में इस मंदिर को भी तोड़ दिया गया।

इसके बाद मुगल शासक जहांगीर के समय में यहां ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने चैथी बार मंदिर बनवाया था। यह इतना भव्य और सम्पन्न मंदिर था कि इसको आगरा से भी देखा जा सकता था। लेकिन 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने इसे तुड़वा दिया और इसके एक हिस्से में ईदगाह का निर्माण करवा दिया।

बनारस के राजा पटनीमल ने इस स्थान को खरीद लिया था

इसके बाद ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1815 में हुई नीलामी में बनारस के राजा पटनीमल ने इस स्थान को खरीद लिया था। वर्ष 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय यहां पहुंचे। श्री कृष्ण जन्मभूमि की बुरी हालत देख कर वह बहुत दुखी हुए और उन्होंने उद्योगपति जुगल किशोर बिडला को पत्र इस संबंध में पत्र लिखा। मालवीय का पत्र मिलने पर बिडला स्वयं श्री कृष्ण जन्मभूमि पहुंचे और वह भी इसकी दुर्दशा देख काफी दुखी हुए। इसके बाद वर्ष 1944 में बिडला ने कटरा केशव देव को बनारस के राजा से खरीद लिया। वर्ष 1945 में कुछ स्थानीय मुसलमानों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर दी।

ये भी पढ़ें:युद्ध में भारी तबाही: हजारों सैनिकों की गई जान, ये जंग विनाश की ओर बढ़ रही

इसी दौरान मालवीय जी का निधन हो गया लेकिन उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई। वर्ष 1953 में स्थानीय मुसलमानों की याचिका पर उच्च न्यायालय का फैसला आ गया। जिसके बाद यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ और फरवरी 1982 में गर्भगृह और भागवत भवन का निर्माण किया गया।

मनीष श्रीवास्तव

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story