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Srikant Tyagi Case: श्रीकांत त्यागी पर चल रही कार्रवाई थमी, पुलिस-प्रशासन पर नरमी बरतने का आरोप

Srikant Tyagi Case: नोएडा के ओमैक्स सोसाइटी में महिला के साथ बदसलूकी और गाली-गलौच करने वाला तथाकथित भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल से भेजा गया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 12 Aug 2022 12:00 PM IST
Srikant Tyagi Case
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Srikant Tyagi Case Noida (image social media)

Srikant Tyagi Case: नोएडा के ओमैक्स सोसाइटी में महिला के साथ बदसलूकी और गाली-गलौच करने वाला तथाकथित भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल में है। श्रीकांत जब फरार था, तब उसके संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की बात हो रही थी लेकिन जैसे ही वह पुलिस के गिरफ्त में आया कार्रवाई की रफ्तार थम से गई है। भंगेल स्थित उसके अवैध मार्केट पर अब तक प्रशासन का हथौड़ा नहीं चला है। जीएसटी टीम के छापे के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

बता दें कि नोएडा की सूरजपुर कोर्ट ने श्रीकांत त्यागी की जमानत की अर्जी खारिज कर दी है। उस लुकसर स्थित जिला कारागार में रखा गया है। पुलिस अब तक उसके पांच गाड़ियों को जब्त कर चुकी है। इसके अलावा ओमैक्स सोसाइटी में उसके द्वारा किए गए अतिक्रमण को भी ढ़हा दिया गया है। लेकिन उसके अवैध संपत्तियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

पुलिस - प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप

इस विवाद के शुरूआत से ही नोएडा पुलिस और प्रशासन श्रीकांत त्यागी को संरक्षण देने को लेकर निशाने पर रही है। पुलिस पर आरोप है कि उसने इतने सालों में त्यागी के खिलाफ आए किसी भी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। उसके दादागिरी और मनमानी पर आंख मूंदे रही। एक बार फिर ऐसे आरोप पुलिस, प्रशासन और नोएडा अथॉरिटी पर लग रहे हैं। क्योंकि इतने दिन बाद भी भंगेल स्थित उसके अवैध मार्केट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गालीबाज नेता ने इतने सालों में सत्ता की हनक पर एनसीआर में अवैध और कब्जाई संपत्तियों का साम्राज्य स्थापित किया है।

पुलिस ने बरतनी शुरु की लापरवाही

यूपी के अलावा उत्तराखंड में भी उसके पास काफी संपत्ति है। शुरूआत में उसके इन संपत्तियों पर कार्रवाई की बात कही जा रही थी। लेकिन अब उसके विरूद्ध एक्शन शिथिल पड़ता जा रहा है। त्यागी के गाड़ी को यूपी पुलिस के जवान एस्कॉर्ट करते थे। उसे गाजियाबाद पुलिस ने सात गनर मुहैया कराए थे। त्यागी न कभी जनप्रतिनिधि रहा और न ही किसी संवैधानिक पद पर रहा, फिर भी उसका जबरदस्त भौकाल था। ऐसे में ये तभी संभव है जब तक उसके सर पर किसी बड़े नेता का हाथ न हो। खबर है कि गाजियाबाद पुलिस ने किसके कहने पर त्यागी को गनर मुहैया कराए थे, इसकी जांच भी रूक गई है। जबकि लखनऊ के सीएम दफ्तर से इसकी जांच के आदेश आए थे।



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Prashant Dixit

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