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Siddharthnagar:आजीविका समूह की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर, सेनेटरी पैड निर्माण कार्य करके तरक्की की ओर बढ़ाया कदम

Siddharthnagar: सिद्धार्थनगर ज़िले के डुमरियागंज में आजीविका समूह की महिलाएं तेजी से तरक्की कर रही हैं। यहां एक ऐसा समूह भी है जिसने सेनेटरी पैड निर्माण कार्य शुरू करके आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है।

Intejar Haider
Report Intejar HaiderPublished By Vidushi Mishra
Published on: 30 March 2022 4:05 PM IST
women of aajeevika samooh
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आजीविका समूह की महिलाएं (फोटो-सोशल मीडिया) 

Siddharthnagar: ज़िले के डुमरियागंज में आजीविका समूह की महिलाएं तेजी से तरक्की कर रही हैं। यहां एक ऐसा समूह भी है जिसने सेनेटरी पैड निर्माण कार्य शुरू करके आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। महुआ ग्राम पंचायत में एक वर्ष पहले ग्रामीण आजीविका समूह का गठन हुआ जिसमें 12 महिलाएं सदस्य हैं।

इन महिलाओं ने जयहिंद प्रेरणा महिला संगठन इस समूह ने आजीविका साधन के रूप में सेनेटरी पैड निर्माण कार्य को चुना। चूंकि समूह को इसके बारे में जानकारी नहीं थी तो उन्होंने ब्लाक मिशन मैनेजर मनीष पांडेय और प्रमोद कुमार मिश्रा से संपर्क किया।

इन दोनों के मार्गदर्शन में न सिर्फ पैड बनाने की मशीन को खरीद कर मंगाया गया बल्कि प्रशिक्षण भी मिला। आज यह समूह प्रतिदिन 1000 पैकेट सेनेटरी पैड बना रहा है। एक पैकेट में छह पीस पैड होते हैं और प्रति पैकेट थोक में बिक्री 25 रुपये प्रति पैकेट की दर से की जाती है।

किशोरियां हों अथवा महिलाएं उन्हें प्रति माह मासिक धर्म की प्रक्रिया का से होकर गुजरना पड़ता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें उन्हें रक्त स्राव से जूझना पड़ता है। रक्त स्राव से शरीर को संक्रमण व वस्त्रों को सुरक्षित रखने के लिए सेनेटरी पैड का सहारा उन्हें लेना पड़ता है। सेनेटरी पैड के बाजार पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा है जिनके पैड काफी महंगे होते हैं।

जयहिंद प्रेरणा समूह की महिलाएं प्रेरणा विंग्स सेनेटरी पैड के नाम से अपना ब्रांड बाजार में उतारा है। यह पैड सस्ता होने के साथ- साथ तीन साइजों में उपलब्ध है जिसके चलते इसकी बिक्री तेजी से बढ़ी है।

समूह की महिलाएं न सिर्फ हाइजीनिक तरीके से स्वयं इसका निर्माण करती हैं बल्कि पैेक करके बाजार में उपलब्ध कराने के साथ ही गांव-गांव जाकर महिलाओं को इसके प्रयोग के लिए जागरूक भी करती हैं। पांच माह में इस समूह ने 70 हजार रुपये की कमाई कर ली है।

बैंगलोर से आई मशीन, कानपुर से आता है कच्चा माल-

समूह ने ब्लाक मिशन कार्यालय से संपर्क करके चार लाख रुपये से सेनेटरी पैड बनाने की मशीन पांच माह पूर्व खरीदी। यह मशीन बैंगलोर से खरीद कर मंगाई तो बिक्री करने वाले फर्म ने ही महिलाओं को एक सप्ताह की ट्रेनिंग भी डुमरियागंज पहुंच कर दी। समूह की सभी सदस्यों ने यह सीखा कि मशीन कैसे ऑपरेट करते हैं और पैड का निर्माण कैसे होता है। पैड में फ्रेग्रेंस ग्लू कितनी मात्रा में डालें, तीन साइज की डाई पर कटिंग और इसे पैक कैसे किया जाता है। अब गांव के पंचायत भवन के हाल में इनकी युनिट लगी है और समूह सदस्य पूरे हाइजैनिक तरीके से पैड का निर्माण व पैंकिंग कर बाजार में उपलब्ध करा रही हैं। पैड बनाने में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल कानपुर से मंगाया जाता है। जिसमें काटन रोल, ग्लू, पैंकिंग पैकेट आदि शामिल हैं।

योजनाबद्ध तरीके से होता है काम-

समूह सदस्य योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं। मशीन पर कौन रहेगा, कटिंग और पैकिंग कौन करेगा सबका काम तय है। हमारी योजना है कि डुमरियागंज में जितने भी स्कूल कालेज हैं हम वहां ब्लाक के माध्यम से संपर्क करके समूह की ओर से पैड बाक्स लगवाएं, जिससे स्कूल टाइम में किसी छात्रा या शिक्षिका को सेनेटरी पैड की जरूरत पड़े तो वह आसानी से उन्हें स्कूल में ही मिल जाए। राजकुमारी, समूह अध्यक्ष

डुमरियागंज ब्लाक क्षेत्र में तो समूह के पैड को खरीदने के लिए स्थानीय दुकानदार स्वयं संपर्क करते हैं, लेकिन उतरौला, गैंसड़ी, बलरामपुर आदि में इसकी सप्लाई शुरू करवाने के लिए हमें एजेंटो की मदद लेनी पड़ रही है। इससे मुनाफा कम हो जाता है। अगर बाहर के दुकानदार भी हमसे संपर्क करके सीधे माल खरीदें तो उन्हें भी लाभ होगा और हमें भी बचत मिलेगी। अंजनी सचिव

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में जागरूकता की अभी भी कमी है। महिलाएं मासिक धर्म के रक्त स्राव को रोकने के लिए गंदे कपड़ों का उपयेग करती रहती हैं। हमारा समूह न सिर्फ सस्ता पैड बना रहा है बल्कि सप्ताह में एक दिन समूह के सदस्य एक गांव चुनकर वहां जाते हैं और किशोरियों तथा महिलाओं को जागरूक करते हैं कि वह गंदे कपड़े का उपयोग न करें, समूह के सस्ते पैड उन्हें सुरक्षित रखेंगे। संगीता देवी, सदस्य

हमने अपनी यूनिट गांव के पंचायत भवन में लगा रखी है। बिजली का कनेक्शन यहां पहले से था, जिसका बिल ग्राम पंचायत की ओर से जमा किया जाता है। लेकिन जबसे समूह ने मशीन लगाकर काम करना प्रारंभ किया है तबसे बिजली विभाग के लोग परेशान करते हैं। कहते हैं कि कामर्शियल कनेक्शन लेना पड़ेगा नहीं तो बिजली काट देंगे। भरपूर बिजली नहीं मिलती अन्यथा हमारी टीम एक दिन में 2000 पैकेट तक तैयार कर सकती है। प्रीति, समूह सखी

जय हिंद प्रेरणा समूह से जुड़ी महिलाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। उन्हें एडीओ आइएसबी शिवबहादुर, मिशन मैनेजर मनीष पांडेय और प्रमोद मिश्रा भरपूर सहयोग देते रहते हैं। वह और आगे बढ़े और ब्लाक का नाम रोशन करें जिससे सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना की सार्थकता सिद्ध हो सके। अमित कुमार सिंह, बीडीओ, डुमरियागंज।



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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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