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Holi Special: 103 साल पुरानी अनूठी होली परम्परा, शोहरतगढ़ में इत्र से मनाया जाता है होली मिलन, पुरोहित सुनाते है वर्षभर भविष्यवाणी
Holi Special: शोहरतगढ़ कस्बा त्योहारों पर चली आ रही परंपराओं को सहेजने में आगे है। यह कस्बा न सिर्फ पर्व को यादगार बनाता है, बल्कि बुजुर्गों की विरासत को सहेजने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है।
siddharthnagar news
Holi Special: जिले के शोहरतगढ़ कस्बा होली त्योहार पर इत्र की खुशबू से मन को मिलाने की परंपरा को सहेजे है। यह परंपरा 103 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही है। इस परंपरा का गवाह श्रीराम जानकी मंदिर है। त्योहार खत्म होने के बाद शाम को मंदिर समिति होली मिलन समारोह का आयोजन करती आ रही है। इसमें बड़े-बुजुर्ग सभी शामिल होते हैं। इस दरमियान सभी के कपड़ों पर इत्र लगाकर प्रेम व सद्भाव का संदेश दिया जाता है तो वहीं पुरोहित का पत्रा सुन वर्षभर होने वाले शुभ कार्यों, लाभ-हानि के बारे में लोग जानकारी प्राप्त करते हैं।
शोहरतगढ़ कस्बा त्योहारों पर चली आ रही परंपराओं को सहेजने में आगे है। यह कस्बा न सिर्फ पर्व को यादगार बनाता है, बल्कि बुजुर्गों की विरासत को सहेजने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है। होली पर्व खत्म होने के बाद श्रीराम जानकी मंदिर सेवा समिति कस्बा वासियों का एक साथ, एक स्थान पर मिलन करने के लिए शाम के समय मंदिर परिसर में होली मिलन समारोह आयोजित करती है। यह परंपरा 103 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही है। समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचने वाले लोग एक साथ परिसर में बैठते हैं और इस दरमियान अबीर-गुलाल की बजाए सभी के कपड़ों पर इत्र लगाकर समाज में प्रेम व सद्भाव बनाए रखने का संदेश दिया जाता है। इस दौरान पुरोहित पत्रा सुनाकर वर्ष भर क्षेत्र में होने वाले लाभ-हानि की जानकारी देते हैं। पत्रा के अनुसार राशियों में होने वाले संभावित सुख-दुख, बारिश व फसल के स्थिति से लोगों को रूबरू कराया जाता है।
प्रसाद में मिलता है ठंडई
होली मिलन समारोह के दौरान पुरोहित का पत्रा खत्म होने के बाद मंदिर समिति लोगों को प्रसाद के रूप में ठंडई पिलाती है। यह ठंडई गुलाब के फूल, सौंफ, काजू, बादाम, चिरौंजी, मिश्रांबू से बनाकर तैयार किया जाता है। इस ठंडई को पीने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है और इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करता है।
श्रीराम जानकी मंदिर सेवा समिति के व्यवस्थापक रामसेवक गुप्ता ने बताया कि शोहरतगढ़ कस्बे का श्रीराम जानकी मंदिर प्राचीन मंदिर है। मंदिर समिति होली पर्व की शाम होली मिलन समारोह का आयोजन करती है। यह परंपरा 103 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही है। बुजुर्गों ने जिन परंपराओं की नींव डाली वही विरासत में मिला है। उसी परंपरा को मंदिर समिति आगे बढ़ाते हुए सहेजने का कार्य कर रही है।