Siddharthanagar News: ताजिया निर्माण में जुटे कारीगर, 7 जुलाई से शुरू हो रहा है मुहर्रम

Siddharthanagar News: सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के कस्बा हल्लौर में इमामबाड़ा चौक पर रखे जाने वाले 25 फीट उंचा बड़ा ताजिया आकर्षण का मुख्य केंद्र होगा।

Intejar Haider
Published on: 6 July 2024 11:28 AM GMT
Artisans busy in making Tazia, Moharram is starting from July 7
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ताजिया निर्माण में जुटे कारीगर, 7 जुलाई से शुरू हो रहा है मोहर्रम: Photo- Newstrack

Siddharthanagar News: मुहर्रम पर रखे जाने वाले ताजिया को बनाने के काम में डुमरियागंज क्षेत्र के हल्लौर कस्बा में कारीगर बड़ी तेजी के साथ जुटे हुए हैं। मोहर्रम करीब आ जाने से ताजिया निर्माण कार्य में तेजी आ गई है। कारीगर दिन रात एक किए हुए हैं । छोटे बड़े तमाम ताजियों को मोहर्रम की नौवीं को चौक पर रखा जाएगा। इस बार मोहर्रम 8 जुलाई से शुरू हो रहा है। ऐसे में चंद दिन ही शेष रह जाने से ताजिया बनाने वाले कारीगर निर्माण कार्य में तेजी ला दिए हैं।

कमेटी का बड़ा ताजिया ऊंचाई 25 फीट

सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के कस्बा हल्लौर में सबसे बड़ा और आकर्षण का मुख्य केंद्र वफफ शाह आलमगीर सानी कमेटी का बड़ा ताजिया होता है। जिसकी ऊंचाई 25 फीट से अधिक होती है। इस ताजिए को बड़ा इमामबाड़ा में हर साल चौक पर रखा जाता है। बड़े ताजिया को बनाने वाले मुख्य कारीगर वजीर हैदर बबलू शिद्दत से जुटे हुए हैं। उनके साथ निसार हैदर सब्लू, शोएब, हांदी, ताजीम अतहर, गुडडू, मोजिज, शादाब आदि की टीम ताजिया की सजावट व बनाने में साथ दे रही है। ताजिया की लागत 30 हजार रूपये से ऊपर होती है। इस ताजिया का निर्माण कार्य बकरीद के पहले यानी मोहर्रम के एक महीना पहले से ही शुरू हो जाता है। बड़े ताजिए को देखने के लिए गैर जनपदों के श्रद्धालु भी हर साल मोहर्रम में आते हैं। इस बार भी ताजिया को वजीर हैदर बबलू बना रहे हैं।


उन्होंने न्यूजट्रैक से बातचीत में बताया कि बड़े ताजिया में चार खंड होते हैं जिसमें सबसे पिछले खंड को बहरी, दूसरे खंड को आठवास, तीसरे खंड को चौरस तथा सबसे ऊपरी हिससे पर गुंबद होता है। ताजिया में सबसे कठिन काम गुंबद और अठवास बनाना होता है। जिस पर कुरान की आयत को कागज को काटकर लिखा जाता है। उन्होंने बताया कि वह बड़े ताजिया के साथ-साथ दो दर्जन और भी मध्यम आकार के ताजिए बना रहे हैं। जो गांव के अन्य स्थानों पर मुहर्रम पर रखे जाते हैं इसकी ऊंचाई 15 और 16 फीट के बीच होती है।

ताजिए में दिखती है ईरानी नक्काशी की झलक

हल्लौर में मोहर्रम के मौके पर बनाए जाने वाले छोटे बड़े ताजियों में ईरानी नक्काशी साफ तौर से दिखाई देती है। ताजिया बनाने वाले कारीगर संजू, शहरयार, एहतेशाम और मोनू ने बताया कि ताजियों पर कुरान की आयतों को कागजों पर छापकर लगाया जाता है। साथ ही रंग-बिरंगे कागजों से ताजियों को सजाया जाता है। जिससे ताजिए की खूबसूरती काफी बढ़ जाती है। कारीगरों की कशीदाकारी यानी उनकी कला ताजिए पर साफतौर से दिखाई देती है।

Shashi kant gautam

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