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Sant Kabir Nagar: निजीकरण के डर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं बिजली कर्मचारी

Sant Kabir Nagar: ऊर्जा मंत्री के बयान से सरकार के साथ हुए समझौतों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार सुधार में लगे बिजली कर्मियों में इस वक्तव्य से निराशा और गुस्सा पैदा हुआ है ।

Intejar Haider
Published on: 25 Feb 2025 8:53 PM IST
Electricity workers taking voluntary retirement for fear of privatization Sant Kabir Nagar News in Hindi
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निजीकरण के डर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं बिजली कर्मचारी (Photo- Social Media)

Sant Kabir Nagar: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा द्वारा विधान परिषद में निजीकरण को लेकर दिया गया वक्तव्य मौजूदा सरकार के साथ हुए समझौतों के सर्वथा विपरीत है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि ऊर्जा मंत्री के बयान से सरकार के साथ हुए समझौतों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार सुधार में लगे बिजली कर्मियों में इस वक्तव्य से निराशा और गुस्सा पैदा हुआ है ।

संघर्ष समिति ने कहा कि भय और अविश्वसनीयता के वातावरण के चलते योग्य और अनुभवी अभियन्ता लगातार स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले कर जा रहे हैं। जनवरी और फरवरी माह में 08 मुख्य अभियंताओं और 03 अधीक्षण अभियंताओं ने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली है। विभाग छोड़ने का क्रम जारी है। ऐसे में ऊर्जा मंत्री के बयान से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामले में स्थितियां और बिगड़ सकती है। इसका विभाग की कार्य संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता दिख रहा है । संघर्ष समिति के आवाहन पर आज लगातार 90 वें दिन बिजली कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में निजीकरण के विरोध में सभी जनपदों और परियोजनाओं पर प्रदर्शन जारी रखा ।

समझौतों का उल्लंघन

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को स्मरण दिलाया की 6 अक्टूबर 2020 को और 5 अप्रैल 2018 को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्षसे समिति के साथ वित्त मंत्री और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री वार्ता की बातचीत के बाद लिखित समझौते हुए हैं। ऊर्जा मंत्री द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की सैद्धांतिक सहमति का बयान इन समझौतों का उल्लंघन है ।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और बिजली कर्मचारियों के साथ विगत में हुए समझौतों के उल्लंघन में की जा रही निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने की कृपा करें ।

उन्होंने बताया कि 05 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्माके साथ हुए लिखित समझौते में कहा गया है कि "उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी ।

कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।" 06 अक्टूबर 2020 को वित्त मंत्री माननीय श्री सुरेश खन्ना जी एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री माननीय श्रीकांत शर्मा जी के साथ हुए लिखित समझौते में 05 अप्रैल 2018 के समझौते की पंक्तियां दोबारा यथावत लिखी गई हैं।

इस समझौते में भी लिखा है कि "उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी। कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।" संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री को यह समझना चाहिए कि एक ही बात दो समझौतों में लिखी जा रही है तो उसका महत्व कितना बढ़ जाता है।

बिजली कर्मियों में भारी रोष व्याप्त

ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के वक्तव्य कि "पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में निजीकरण सहित रिफॉर्म करने पर सरकार की सहमति बन गई है" ने सुधार में लगे बिजली कर्मचारियों को बहुत निराश किया है और इसी सरकार द्वारा किए गए विगत दो समझौतों के उल्लंघन से बिजली कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है ।

उन्होंने कहा की बिजली कर्मचारी लगातार मांग कर रहे हैं की सुधार हेतु उनके द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर प्रबंधन और सरकार उनसे बातचीत करें और वार्ता के बाद उचित समझे जाने वाले सुझाव के बिंदुओं को सुधार हेतु लागू किया जाए। मौजूदा प्रबंधन ने सुधार पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति से एक बार भी वार्ता नहीं की है। इसके बावजूद संघर्ष समिति के सुधार के आवाहन पर बिजली कर्मी लगातार सुधार में लगे हुए हैं। इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश के विद्युत वितरण निगमन में 2017 में 41% ए टी एंड सी हानियां थी जिसे बिजली कर्मचारियों ने घटकर वर्ष 2023 24 में 17% कर दिया है कि निजीकरण का राग बंद किया जाए तो बिजली कर्मचारी अगले 1 वर्ष में राष्ट्रीय मानक 15% से नीचे एटी एंड सी हानियां लाकर दिखा देंगे ।

संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ऊर्जा मंत्री को झूठे आंकड़े दे रहा है और ऊर्जा मंत्री उन्हीं गलत आंकड़ों के आधार पर बोल रहे हैं। ऊर्जा मंत्री कह रहे हैं की 24 घंटे गुणवत्ता परक बिजली आपूर्ति के लिए निजीकरण किया जाना जरूरी है।

ऊर्जा मंत्री को इस बात की जानकारी नहीं है कि ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों की बिजली में कटौती करती है क्योंकि यहां से बिजली का कम मूल्य मिलता है। इसके विपरीत निजी कंपनी औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने में रुचि रखती है क्योंकि इन उपभोक्ताओं से अधिक पैसा मिलता है। स्वाभाविक है निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है। इसके विपरीत सरकारी कंपनी सर्वोच्च प्राथमिकता पर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देती है। सरकारी कंपनी के लिए बिजली एक सेवा है जबकि निजी कंपनी के लिए बिजली एक व्यापार है ।

संघर्ष समिति ने कहा कि आगरा में टोरेंट कंपनी की तुलना में केस्को में प्रति यूनिट राजस्व की वसूली भी अधिक है और एटी एंड सी हानियां भी कम है। केस्को में ए टी एंड सी हानियां 09.6% हैं जबकि आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी की ए टी एंड सी हानियां 09.82% हैं। केस्को में प्रति यूनिट राजस्व वसूली 7.96 रुपए है जबकि आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी से पॉवर कॉरपोरेशन को प्रति यूनिट 04.36 रुपए मिलता है।

संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के सामने कार्पोरेशन प्रबंधन यह आंकड़े रखें तो संघर्ष समिति को विश्वास है कि ऊर्जा मंत्री कभी निजीकरण की बात कभी नहीं करेंगे । आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई ।

आज सन्तकबीर नगर में निजिकरण के विरोध सभा में इं0 राजेश कुमार, इं0 मनोज कुमार, इं0 लक्ष्मण मिश्र, इं0 मुकेश गुप्ता, धीरेंद्र यादव, सुनील प्रजापति, नारायण चन्द्र चौरसिया, हिफजुर्रहमान अंसारी, संजय यादव, आशीष कुमार,दिलीप सिंह, राघवेन्द्र, राजकुमार (संविदा कर्मी), लालचन्द यादव, दिनेश चन्द्र, विवेक पासवान, महेन्द्र जायसवाल, श्रवण प्रजापति,मनोज कुमार, विजय कुमार, दुर्गेश राय, लालचंद यादव, अभिषेक मणि त्रिपाठी, निखिल श्रीवास्तव, विभव रंजन श्रीवास्तव, प्रदुम्न कुमार, संतोष कुमार, योगेन्द्र चौहान, श्रवण कुमार प्रजापति, रीतेश, श्रीराम, संतोष कसौधन, प्रिन्स गुप्ता, विरेन्द्र मौर्या, मनीष मिश्रा, रंजन कुमार, दिलिप मौर्या आदि सम्मिलित रहे ।



Shashi kant gautam

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