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Siddharthnagar News: हीरे मोती न चाहूं.., सिद्धार्थनगर महोत्सव में कैलाश खेर ने बिखेरा आवाज का जादू, गीत पर झूमे लोग
Siddharthnagar News: सिद्धार्थनगर महोत्सव के चौथे दिन पद्मश्री कैलाश खेर ने अपनी गीतों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। हीरे मोती ना चाहूं मैं तो चाहूं संगम तेरा.. गीत पर सर्वाधिक तालियां बजी।
Siddharthnagar News: सिद्धार्थनगर महोत्सव के चौथे दिन बुधवार की रात पद्मश्री कैलाश खेर ने अपनी गीतों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। हीरे मोती ना चाहूं मैं तो चाहूं संगम तेरा.. गीत पर सर्वाधिक तालियां बजी। उनके पंजाबी गीत जोगी रे पर लोग थिरके भी। कार्यक्रम के दौरान कैलाश खेर मंच पर पहुंचते ही खचाखच भीड़ से भरे पंडाल तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मौसम जैसे-जैसे सामान्य हो रहा है महोत्सव में दर्शकों की भीड़ बढ़ती जा रही है।
बुधवार को चटक धूप रही। अधिकतम तापमान भी 25 डिग्री सेल्सियस के करीब रहा। इसके चलते महोत्सव में दिन में ही दूरदराज के लोगों का आना शुरू हो गया था। रात करीब नौ बजे बजे कैलाश खेर की नाइट में लोगों की सर्वाधिक भीड़ रही। सूफी गानों के लिए दुनिया भर में मशहूर कैलाश खेर ने मंच पर चढ़ते ही हाथ हिला कर लोगों का अभिवादन किया। उन्होंने भोलेनाथ का गीत आदि गाकर लोगों में भक्ति भाव भर दिया लोग अपने स्थान पर झूमने लगे। माहौल को भांप कर उन्होंने फिर एक लंबी तान छेड़ी और अल्लाह के बंदे, पिया घर आएंगे और दौलत शोहरत क्या करनी गीत गाकर मंच लूट लिया।
इसके बाद तौबा तौबा तेरी सूरत गाते हुए युवाओं से डांस की अपील की। वहीं तेरे नाल इश्क यूं ही चला, चांद सिफारिश आदि गीत गाकर लोगों को खूब नचाया। इसके बाद जय जयकारा शिव शंभू सरीखे एक से बढ़कर एक गीतों से अपनी आवाज का जादू बिखेरा। सूफी गायक कैलाश खेर ने कहा कि यह नगरी बुद्ध के बचपन के नाम से जानी जाती है। जहां बुद्ध हैं वहीं पर प्रबुद्ध है। प्रभु श्री राम भी पहले दशरथनंदन के नाम से जाने जाते थे, बाद में वह श्रीराम हुए। उन्होंने कहा कि आज बड़ा ही अच्छा दिन है ये बुद्ध की धरती है और आज दिन भी बुधवार है। मेरे साथ आप गुनगुनाइए और थोड़ा झूमिए भी।